Get information about Environment in Hindi Language. Here you will get Paragraph and Short Essay on Environment in Hindi Language for students of all Classes in 100, 250, 350, 500 and 700 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में पर्यावरण पर निबंध मिलेगा।
Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण पर निबंध (100 words): एक पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो पृथ्वी पर बढ़ने, पोषण और नष्ट करने में सहायता करती है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को विकसित करने और विकसित करने में मदद करता है स्वाभाविक रूप से। लेकिन मनुष्यों की कुछ बुरी और स्वार्थी गतिविधियों के चलते हमारे पर्यावरण प्रभावित हो रहे हैं। यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि हर किसी को यह जानना चाहिए कि हमारे पर्यावरण को हमेशा के लिए सुरक्षित रखने के साथ-साथ जीवन के अस्तित्व को जारी रखने के लिए इस ग्रह पर प्रकृति के संतुलन को सुनिश्चित करना।
Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण पर निबंध
Paryavaran Par Nibandh- Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण पर निबंध (250 words)
हमारे पर्यावरण हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है एक पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो जीवन को इस धरती पर बढ़ने और पोषण देने में सहायता करता है। इससे मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को प्राकृतिक रूप से विकसित और विकसित करने में मदद मिलती है। लेकिन अब दिन, हमारे पर्यावरण कई तरीकों से परेशान कर रहे हैं जो सभी जीवित प्राणियों पर प्रभाव डालते हैं। प्रकृति के संतुलन में किसी प्रकार की अशांति पर्यावरण को प्रभावित करती है जो मानव जीवन को नष्ट कर देती है। हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर किसी के द्वारा उठाए गए छोटे कदम के साथ बचा सकते हैं। हमें कचरे की मात्रा को कम करना चाहिए, कचरे को अपने स्थान पर ठीक से फेंकना चाहिए। मानव अस्तित्व के लिए पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जब हम पर्यावरण की रक्षा करते हैं, हम अपने और अपने भविष्य की रक्षा कर रहे हैं।
पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम:
रसायनों और अपशिष्ट का तेल जमीन पर या पानी के निकायों के लिए अग्रणी नालियों में डालना न दें।
चलने या साइकिल चलाने से कारों से उत्सर्जन कम करें। ये ड्राइविंग के लिए न सिर्फ अच्छे विकल्प हैं, ये भी बहुत अच्छे व्यायाम हैं।
जहां कहीं भी संभव हो। जैसा कि आप कर सकते हैं उतने वृक्ष रोपण यात्राएं में शामिल हों और पौधे के पेड़ों जितना आप कर सकते हैं।
Short Essay on Environment in Hindi Language – पर्यावरण पर निबंध ( 350 words)
भूमिका- पर्यायवरण का अर्थ है एक ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए है। पर्यायवरण सभी भौतिक,चल-अचल,जीवित-आजीवित चीजों को मिलाकर बना है। इसके अंतर्गत भूमि, जल,वायु,पेड़ पौधे, मनुष्य और पशु पक्शी सभी आते हैं। पर्यायवरण का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। हमारे आस पास का वातावरण जितना शुद्ध होगा हमारा जीवन उतना ही खुशहाल होगा और हम उतने ही स्वस्थ रहेंगे। अगर वातावरण में मौजुद कोई भी तत्व असंतुलित हो जाए तो वातावरण दुषित हो जाता है। दुषित वातावरण पेड़ पौधों को भी सही से नहीं उगने देता। यह सभी चीजों पर बुरा प्रभाव डालता है।
पर्यायवरण के प्रकार-
मनुष्य ने आज के समय में बहुत ही ज्यादा प्रगति कर ली है। उसने अपनी सहुलियत के अनुसार अपना वातावरण भी खुद बना लिया है। पर्यायवरण के दो प्रकार है-
1. प्राकृतिक पर्यायवरण – यह हमें प्रकृति ने उपहार के रूप में दिया है। इसके बिना मानव जीवन संभव नहीं है।
2. कृतरिम पर्यायवरण- इसे मनुष्य ने बनाया है।
वातावरण के दुषित होने के कारण-
मनुष्य की गतिविधियों से वातावरण दुषित होता जा रहा है। वो अपनी तरक्की में पर्यायवरण का ध्यान रखना ही भूल गया है। वातावरण दुषित होने के निम्नलिखित कारण है –
1. उघोगों की वजह से वातावरण में रसायनों की मातरा बढ़ रही है।
2. मनुष्य लगातार अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो को काटता जा रहा है।
3.खुले में कचरा फेंकने से भी वातावरण दुषित होता है।
4. बहते हुए दुषित जल भी पर्यायवरण के दुषित होने का कारण है।
वातावरण को दुषित होने से रोकने के उपाय-
अगर जीवित रहना है तो वातावरण को स्वच्छ रखना बहुत ही आवश्यक है। इसको स्वच्छ रखने के बहुत से तरीके है-
1. ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
2. पॉलिथीन का इस्तमाल बंद करना होगा।
3. लोग कचरा खुले में न डाले इसके लिए सरकार द्वारा कचरा इकट्ठा करने के लिए गाड़ी भेजी जानी चाहिए।
निष्कर्ष- अच्छा वातावरण हर इंसान का सपना है और इस सपने को सच भी उसी को बनाना होगा। हमें प्रगति बिना पर्यायवरण को नुकसान पहुँचाए करना चाहिए ताकि प्रकृति से मिली इस धरोहर को हम आने वाली पीढ़ी को भी दे सके।
Essay on Environment in Hindi Language – पर्यावरण पर निबंध (500 words)
अपेक्षाकृत अमीर लोगों के बढ़ते जीवन स्तर से पैदा होने वाले प्राकृतिक संसाधनों और प्रदूषण की बढ़ती मांग का पर्यावरणीय तनाव अक्सर होता है। लेकिन गरीबी खुद पर्यावरण को प्रदूषित करती है। गरीब और भूखे अक्सर अपने अस्तित्व के लिए अपने तत्काल वातावरण को नष्ट करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वे जंगलों में कटौती करते हैं, उनके पशुधन घास के मैदानों में अधिक; वे सीमांत भूमि का उपयोग करते हैं जितनी उनकी संख्या बढ़ती है, वे भीड़भाड़ वाले शहरों में भीड़ देते हैं इन परिवर्तनों के संचयी प्रभाव इतने दूर हैं, जैसे गरीबी खुद को एक प्रमुख वैश्विक समस्या बनाने के लिए।
बीसवीं सदी की शुरुआत में चिकित्सा, कृषि और औद्योगिक तकनीक की प्रगति में हर किसी को लंबे जीवन, सभ्य भोजन, पर्याप्त आवास और संतोषजनक रोजगार देने का वादा किया गया था। इनमें से सबसे गरीबों को विकसित देशों कहा जाता है, जबकि इन दोनों चरम सीमाओं के बीच के विकासशील और कम विकसित देशों के भीतर विकासशील देशों को कहा जाता है, बहुत से लोग जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं ताकि स्वयं को स्वस्थ बनाए रख सकें, जबकि लाखों अन्य गरीबी के स्तर से भी नीचे रहें।
विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, कम से कम 800 मिलियन लोग, यानी, दुनिया के छः लोगों में से एक व्यक्ति की इतनी सीमित आहार होती है कि उनके पास सामान्य शारीरिक गतिविधियों को करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के कुछ गरीब देशों में 70 से 80 प्रतिशत बच्चों को कुपोषण से बहुत अधिक क्षतिग्रस्त होने का सामना करना पड़ा है कि वे कभी भी अपनी पूरी आनुवंशिक क्षमता का एहसास नहीं कर पाएंगे।
निष्कर्ष-
विकसित देशों में रहने वाली दुनिया की आबादी का एक चौथाई मानवता द्वारा एक वर्ष में लगभग 80 प्रतिशत संसाधनों का उपभोग करता है। आबादी के शेष तीन चतुर्थांश 20 प्रतिशत पर जीवित रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के लोग, जो दुनिया की आबादी का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा हैं, लगभग 35 प्रतिशत कच्चे माल का उपभोग करते हैं। ‘हव्स’ और ‘नॉट्स’ के बीच का अंतर बढ़ रहा है। ये असमानता आज की गुणवत्ता की गुणवत्ता में अंतर नहीं दर्शाती हैं, बल्कि इन समाजों की क्षमता में भी भविष्य में उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए है।
अधिकांश गरीब देश अपने मूल संसाधनों पर निर्यात आय के लिए निर्भर करते हैं जो व्यापार की अस्थिरता या गिरावट के मामले में कमजोर हैं। जब तक कि व्यापार संबंधों में अधिक न्यायसंगत न हो, तब तक केवल इन देशों के पर्यावरण के लिए क्षतिग्रस्त होने वाली नित्य संसाधनों को हटाने और भयभीत होने का डर हो सकता है। भूमि और अन्य संपत्तियों के असमान वितरण के कारण देशों के भीतर गरीबी बढ़ रही है। जनसंख्या में तेजी से वृद्धि ने जीवन स्तर बढ़ाने के लिए असमर्थता का भी योगदान दिया है। कृषि भूमि के लिए वाणिज्यिक उपयोग के लिए बढ़ती मांग ने निर्यात के लिए फसलों को विकसित करने के लिए कई निर्वाह किसानों को कम उपजाऊ भूमि में धकेल दिया है।
इसके अलावा, जैसा कि आप जानते हैं कि व्यापक वनों की कटाई, खेती के ऊपर, आवासीय और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जमीन का उपयोग करने से सूखा और बाढ़ जैसी दुर्घटनाएं हुई हैं। ऐसे आपदाओं में से ज्यादातर पीड़ित गरीब हैं, गरीब देश हैं और पर्यावरण की कमजोरी उनके अस्तित्व को और भी मुश्किल और अनिश्चित बना देती है। उनकी आर्थिक रूप से कमजोर सरकारें ऐसी सुविधाओं के अभाव और ऐसे आपदाओं से फसल के लिए मौद्रिक भंडार की वजह से अयोग्य तरीके से सुसज्जित हैं। इसके साथ ही वृद्धि बढ़ जाती है।
इस प्रकार, हम देखते हैं कि विकास की कमी और विकास प्रक्रियाओं से भी पर्यावरणीय चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। अधिक व्यवहार्य भविष्य की खोज केवल उन्मूलन के साधनों के विकास को खत्म करने और खत्म करने के अधिक जोरदार प्रयास के संदर्भ में सार्थक हो सकती है।
Long Essay on Environment in Hindi Language – पर्यावरण पर निबंध ( 700 words )
भूमिका- पर्यायवरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि और आवरण जिसका अर्थ है एक ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए हैं। हमारे आसपास मौजुद सभी जीवित और अजीवित, चल और अचल चीजें पर्यायवरण के अंतर्गत आती है। पर्यायवरण हमें जीवन उपयोगी सभी संसाधन उपलब्ध कराता हैं। पूरे ब्रहमांड में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा गृह है जिसपर पर्यायवरण मौजुद है और उसी की वजह से यहाँ पर जीवन संभव है। पर्यायवरण के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पर्यायवरण जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। पर्यायवरण भौतिक, जैविक और रसायनिक इकाईयों का एक समाविष्ट है। पर्यायवरण के अंतर्गत स्थलमंडल, जैवमंडल, वायुमंडल आदि आते है।
पर्यायवरण के प्रकार-
मानव के विकासशील दिमाग ने पर्यायवरण को भी दो प्रकारों में विभाजित कर दिया है। प्राकृतिक पर्यायवरण वह पर्यायवरण है जो हमें भगवान को द्वारा उपहार के रूप में दिया गया है और हमें सभी संसाधन उपलब्ध करवाता है। कृत्रिम पर्यायवरण या मानव निर्मित पर्यायवरण वह पर्यायवरण है जो मनुष्य के द्वारा उसकी सहुलियत के अनुसार उसके चारों तरफ बनाया गया है।
पर्यायवरणीय संसाधन-
पर्यायवरण को विभिन्न संसाधनो की खान कहा जा सकता है जो हमें सभी संसाधन उपलब्ध कराते है। यह हमें श्वास के लिए हवा उपलब्ध कराता है, पीने के लिए पानी, खाने के लिए वनस्पति, मिट्टी आदि उपलब्ध कराता है। पर्यायवरण को हमेशा मनुष्य को संदर्भ में परिभाषित किया जाता है। मानव एक घटक है और उसके चारों तरफ विद्यमान अन्य घटक पर्यायवरण कहलाते है।
पर्यायवरण समस्या-
आधुनिक युग में मनुष्य के कारण और उसकी प्रगति की होड़ में वह नियमित रूप से पर्यायवरण के लिए समस्या को बढ़ाता जा रहा है। आज के समय में पर्यायवरण से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या प्रदुषण की है। पर्यायवरण के साथ मनुष्य प्रतिदिन खिलवाड करता जा रहा है और उसे दुषित कर रहा है। पर्यायवरण में वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, मृदा प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण जैसी बहुत सी समस्याएँ है और इन सभी समस्याओं से सभी जीवों और मनुष्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बढ़ती हुए पर्यायवरण संबंधी समस्याओं और पेड़ो की कटाई के साथ रोगों में भी वृद्धि हुई है।
पर्यायवरण सरंक्षण-
पर्यायवरण हमारे लिए मूलभूत जरूरत है और इसमें किसी भी प्रकार का जैविक, रसायनिक या भौतिक बदलाव सभी के लिए हानिकारक है इसलिए हमें जरूरत है इसे सरंक्षित और साफ स्वच्छ रखने की। हमें पेड़ो को काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना चाहिए और खुले में कचरा नहीं फेंकना चाहिए। हमें शहरीकरण और उद्योगीकरण की प्रगती की होड़ में पर्यायवरण को नहीं भूलना चाहिए। बच्चों को स्कूलों में ही पर्यायवरण सुरक्षा के उपाय सिखाए जाने चाहिए। सरकार द्वारा भी पर्यायवरण रक्षा अधिनियम 1986 में लागू किया गया है।
भारतीय संस्कृति में पर्यायवरण चिंतन-
भारतीय संस्कृति में पर्यायवरण को बहुत ही महत्व दिया जाता है क्योंकि पर्यायवरण में बहुस सी ऐसी चीजे है जिनकी भारत में पूजा की जाती है। बहुत से पेड़, नदियाँ और पर्वत ऐसे है जिनका भारतीय बहुत सम्मान करते हैं और उनकी पूजा करते है। यदि हम पर्यायवरण को ऐसे ही नुकसान पहुँचाते रहेंगे तो एक दिन ऐसा आऐगा जिस दिन यह पूजनीय पेड़ पौधे, नदियाँ और पर्वत हमारे पास नहीं होगे जो कि हमारी संस्कृति के लिए बहुत ही गहरी चिंता का विषय है। इसलिए पर्यायवरण सरंक्षण भारतीय संस्कृति के सरंक्षण से भी जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष-
पर्यायवरण सभी की जरूरत है और इसकी सुरक्षा कोई पारिवारिक या सामाजिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दै है। पूरे विश्व के लोगों को मिलकर पर्यायवरण की सुरक्षा के प्रयास करने चाहिए क्योंकि पर्यायवरण प्रदुषण की समस्या आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है। पर्यायवरण हमें केवल लाभ ही देता है और जब तक मनुष्य इसके साथ छेड़छाड़ न करे हमें पर्यायवरण से कोई भी नुकसान नहीं पहुँचाया जाता है। पर्यायवरण हमें भगवान के द्वारा दिया गया अनमोल उपहार है। पर्यायवरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलानो के लिए प्रत्येक वर्ष पर्यायवरण दिवस मनाया जाता है जिसमें लोगों को पर्यायवरण की सुरक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है और पर्यायवरण के हित में बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हम सबको भी मिलकर भगवान के इस अनमोल उपहार की सुरक्षा करनी चाहिए और हमें इस तरह से विकास करना चाहिए जिससे पर्यायवरण को हानि न पहुँचे और पर्यायवरण का लाभ आने वाली पीढ़ी को भी मिल सके और धरती पर जीवन बना रहे़।
हम आशा करेंगे कि आप इस निबंध ( Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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