Essay on Holi in Hindi Language – Here you will get Parahraph and Short Essay on Importance of Holi Festival in India in Hindi Language in 150, 300, 400, 500 and 600 words for students of all classes. सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में होली के त्यौहार पर निबंध। हमने छात्रों के लिए होली पर कुछ निबंध दिए हैं। छात्रों को आम तौर पर होली, कक्षा परीक्षण या परीक्षा के समय के बारे में अपने ज्ञान की जांच के लिए त्यौहार की घटना के दौरान होली पर पैराग्राफ लिखने के लिए उनके शिक्षकों द्वारा सौंपा जाता है। हर कोई इन होली पर निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है।
Essay on Holi in Hindi – होली पर निबंध
Essay on Holi in Hindi – होली पर निबंध (150 Words)
होली एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो शीत ऋतु के अंत में और वसंत की शुरुआत में मनाया जाता है। दिन एक राजपत्रित छुट्टी है| होली वास्तव में रंग का त्योहार है लोग सूखे रंग का पाउडर छिड़कते हैं या एक दूसरे पर रंग फेंक देते हैं। होली को प्रह्लाद के सम्मान में मनाया जाता है, शक्तिशाली हिरण्यकश्यप के पुत्र, जिन्होंने खुद को भगवान के रूप में शक्तिशाली माना। संयोग से रंगों के रसायन त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं| हालांकि त्वचा और आंखों के खतरे से बचने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है। वास्तव में होली को त्योहार तालमेल से खेला जाना चाहिए। वास्तव में सही भावना में किसी उत्सव के दिन किसी को क्यों नुकसान पहुँचाएं? इस पवित्र दिन पर किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई द्वेष नहीं होना चाहिए। यह वास्तव में खुशी का दिन है ग्रामीण क्षेत्रों में उत्सव अधिक उच्छृंखल हो जाता है| लोग इस दिन एक-दूसरे को गले लगाते हैं|
Essay on Holi in Hindi – होली पर निबंध (300 Words)
होली वसन्त ऋतु का पर्व है। यह सर्दी के अन्त में फाल्गुन की पूर्णिमा को मार्च मास में आता है। इन दिनों गेहूं, चने और अन्य फसलों में दाने आ जाते हैं। किसान अपनी फसल को लहलहाते देख मुग्ध हो उठता है। वसन्त का सौन्दर्य वैसे भी जीवन में उत्साह भर देता है। इस उत्साह में हम सब मिलकर उत्सव मनायें, इसी के लिए यह होली का त्यौहार आता है। यह त्यौहार दो दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होली जलाई जाती है। उसका सम्बन्ध भक्त प्रह्लाद की बुआ से बताया जाता है। कहते हैं कि प्रह्लाद को जलाने की इच्छा वाली होलिका स्वयं जल कर समाप्त हो गई परन्तु भक्त प्रह्लाद का बाल भी बाँका न हुआ।
भगवान् अपने भक्तों की संकटों में रक्षा करते हैं, यही इस कहानी का सार है। होलक कच्चे अन्न को कहा जाता है। प्राचीन काल में यज्ञ करके इस अन्न को आग पर भून कर सब लोग मिलकर खाया करते थे। इस दृष्टि से यह प्रेम का पर्व है। आज भी यह परम्परा चल रही है। अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। रूठों को भी मनाया जाता है। केसू, गुलाल, पानी के रंग सभी से होली खेली जाती है। परन्तु कई लोग गन्दगी फेंक कर या न चाहने वालों के कपड़ों को रंग कर लड़ाई-झगड़ा मोल लेते हैं।
कुछ लोग इस दिन भी शराब पीकर गन्दे काम करते हैं। इस प्रकार होली का यह पवित्र पर्व लड़ाई-झगड़े और बुराइयों का कारण बन जाता है। हमें चाहिए कि होली को पवित्रता से खेला जाये; केवल उन्हीं लोगों के साथ, जो खेलना चाहें। तभी यह प्रेम-प्रीति को बढ़ा सकता है। हँसी-खुशी के इस त्यौहार पर मनमुटाव पैदा नहीं करना चाहिए। हमें एकता के साथ इस होली के त्योहार मनाना चाहिए।
Essay on Holi in Hindi – होली पर निबंध (400 words)
भारत त्योहारों का देश है। प्रत्येक त्योहार अपने में कुछ न कुछ विशेषता अवश्य रखता है। प्रत्येक त्योहार अपने अन्दर कोई न कोई ऐतिहासिक घटना लिए हुए है। इसी तरह होली का त्योहार भी धार्मिक और ऐतिहासिक है। यह एक ऋतु सम्बन्धी त्योहार भी माना जाता है क्योंकि बसन्त के बाद यह त्योहार आता है। कुछ लोग कहते हैं कि यह त्योहार प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। प्रह्लाद भगवान् विष्णु का सच्चा भक्त था और उसका पिता हिरण्यकश्यप उसे । भगवान का नाम लेने से रोकता था। वह बड़ा दुष्ट और निर्दय था।
प्रह्लाद की फुफी का नाम होलिका था। उसके पास एक चादर थी, जिसे ओढ़ लेने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। उसने अपने भाई हिरण्यकश्यप से । कहा कि प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ जांऊगी। प्रह्लाद जल जाएगा, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। लेकिन जिसकी रक्षा ईश्वर करता है, उसे कोई नहीं मार सकता। होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई। प्रह्लाद बच गया और उसकी फूफी जल गई। सच है कि भक्तों की विजय पताका गगन से भी ऊँची कहलाती है। यह त्योहार कृष्ण और उस की गोपियों की रंगरलियों के कारण भी विशेष प्रसिद्ध है। यह आनन्द और मंगल का और बिछड़े या रूठे हुए भाइयों को गले लगाने का भी त्योहार है।
यह उत्सव ग्रामों और नगरों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है । इस दिन रंग गुलाल चलता है। चार बजे तक रंग एक दूसरे पर फेंका जाता है| देखा गया है कि कभी अनजान आदमी होली खेलने के लिए निकले हुए। व्यक्तियों के चुगंल में फंस जाता है तो वे उसकी बुरी तरह गत बनाते हैं। उसे लाल-पीला किए बिना नहीं छोड़ते, भले ही व्यक्ति किसी आवश्यक काम के लिए ही क्यों न जा रहा हो । कई बार तो लड़ाई झगड़े तक की नौबत भी आ जाती है।
उत्सव मनाने का लक्ष्य, समाज से दुश्मनी की भावना को निकालना है। यदि उत्सवों से दुश्मनी पैदा हो तो उत्सव मनाने का लक्ष्य नष्ट हो जाता है। इसलिए होली खेलने वालों को चाहिए कि व्यक्ति पर रंग न डालें जो बुरा माने। आज भारत स्वतन्त्र है, इसलिए राष्ट्रीय त्योहार के रूप में इसे मनाना चाहिए। दुश्मनी भुलाकर प्रेम के रंग में सबको रंग डालना चाहिए। वस्त्रों के साथ पवित्र प्रेम से हृदय भी रंग दिया जाए तो इस त्योहार को मनाना सफल होगा।
Essay on Holi in Hindi – होली पर निबंध (500 Words)
होली का त्योहार रंगों के उत्सव के रूप में जाना जाता है। होली फगुन के महीने में आता है। इसका अर्थ है कि होली फरवरी और मार्च के महीनों के बीच गिरता है इस त्योहार की उत्पत्ति एक प्राचीन पौराणिक कहानी में है। एक बार प्रहलाद नाम के एक युवा राजकुमार थे। वह दानव राजा हिरणकश्यप के पुत्र थे।
प्रहलाद भगवान विष्णु के एक महान भक्त थे। उनके पिता को यह पसंद नहीं था। इसलिए उसने अपनी बहन होलिका से पूछा कि बच्चा को मारना है। होलिका को वरदान के साथ आशीर्वाद दिया गया था। उसे जलाना नहीं था। इसलिए वह प्रहलाद के साथ अपनी गोद में आग में बैठ गई आग में होलिका को आग लग गई, जबकि प्रहलाद बच गए थे।
प्रहलाद के सुरक्षित भागने के सम्मान में त्योहार मनाया जाता है। होली फसल के मौसम की शुरुआत में गिरती है इसलिए कॉर्न के नए कान आग में भुनाए जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस त्यौहार से एक रात पहले, एक बड़ा जलाया जाता है। महिलाओं को मिठाई और अन्य प्रार्थना सामग्री आग में पेश करती है लोग तब एक स्वस्थ और परेशानी मुक्त वर्ष के लिए प्रार्थना करते हैं। होली के दिन, लोग आग के संबंध में इस आग की राख को अपने माथे पर धुंधला करते हैं और फिर घर से घूमते हुए एक-दूसरे पर रंग लेते हैं। बच्चे विशेष रूप से इस उत्सव का आनंद लेते हैं।
वे मजाक खेलते हैं और एक दूसरे पर रंगीन पानी डालते हैं। महिलाएं गोएंजीस तैयार करती हैं, एक प्यारी मिठाई से परिष्कृत आटा और चीनी, और अन्य नमकीन व्यंजन। मीठा पेय में भांग, एक प्रकार का पौधे पेस्ट, मिश्रण करने के लिए एक अनुष्ठान भी है। इसे पीने से लोग प्रसन्न हो जाते हैं। वहाँ नृत्य और गायन के बहुत सारे हैं इस रंगीन त्योहार का गहरा साइड यह है कि बहुत से लोगों ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए मज़ाक लगाया। बच्चे सड़क के किनारों पर और वाहनों पर पानी के गुब्बारे भी फेंक देते हैं। इस टोपी में अक्सर हर साल कई दुर्घटनाएं होती हैं इसके अलावा लोग -केमिकल्स, पेंट और मैला का उपयोग करते हैं।
एक दूसरे पर फिसलना, जिससे कई लोगों के लिए त्वचा और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है कभी-कभी स्थायी दृष्टि हानि भी देखी गई है। यह सच है कि होली हालांकि खुशी का एक त्योहार के रूप में शुरू हुआ टाई वर्षों से अधिक एक त्योहार है जो कि ज्यादातर लोगों के लिए तत्पर नहीं दिखता है। तो आइए हम इस बात की प्रतिज्ञा करें कि जब हम अगले साल होली खेलेंगे तो हम उन सभी गंदा व्यवहारों से बचेंगे जो इसके साथ जुड़ा हुआ हैं।
Essay on Holi in Hindi – होली पर निबंध (600 Words)
भारतवर्ष की धरती पर समय – समय पर अनेक त्योहार आकर जन – जीवन में आनन्द, स्फूर्ति एवं उल्लास का संचार कर देते है। इन त्योहारों में भारतीय संस्कृति की झाँकी भी देखने को मिलती है। दीपावली, होली, दशहरा, रक्षाबन्धन आदि हिंदुओं के प्रमुख त्योयार हैं। इनमें होली का अपना रंग ही निराला है। यह रंगों का ऐसा त्योहार है जिसमें उल्लास एवं उमंग का संगम है।
प्रत्येक त्योहार के साथ कोई – न – कोई एतिहासिक या पोराणिक घटना जुड़ी होती है। होली के साथ भी ऐसी ही कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि प्राचीन काल मैं दैत्यराज हरणिक्श्य्पू ने अपने राज्य में सभी को ईश्वर का नाम ना लेने की चेतावनी दे रखी थी क्योंकि वह स्वयं नास्तिक था। इसने तपस्या करके ब्रहमा से ऐसा अनोखा वरदान पा लिया था जिसे पाकर वह स्वयं को अमर समझने लगा था। उसकी प्रजा तो भय के कारण सार्वजनिक रूप से ईश्वर का नाम नहीं ले सकती थी, परन्तु उसी का पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था। प्रहलाद ने अपने पिता की आज्ञा मानने से इनकार कर दिया।
हरणिक्श्य्पू ने प्रहलाद को समझाने – बुझाने का बहुत प्रयत्न किया, परन्तु वह अपनी ईश्वर – भक्ति से विमुख नहीं हुआ। हरणिक्श्य्पू ने अपनेपुत्र को अनेक प्रकार के उतायों से मारने का प्रयास भी किया परन्तु ईश्वर की कृपा से वह सफल नहीं हो पाया। हरणिक्श्य्पू की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती। वह प्रहलाद को लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई। ढेर में आग लगा दी गई। ईश्वर की कृपा से होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया। उसी दिन की याद में आज भी होलिका – दहन किया जाता है।
कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। कृषि – प्रधान देश भारत में तो होली का और भी महत्व है। इस समय किसानों की फ़सलें पकी होती हैं तथा इन फ़सलों से लहलहाते खेतों को देखकर कृषक अनंदिक होते है। होली के साथ ही शरद ऋतु विदा हो जाती है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है।
होली का त्योहार फाल्गुन मास की शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन संध्या के समय होली – दहन होता है। बसंत पंचमी के दिन से ही लड़कियों का ढेर एकत्रित करना प्रारम्भ कर दिया जाता है जिसमें इज़ दिन आग लगाई जाती है। लोग अग्नि के चारों और परिक्रमा करते हैं, नाचते- गाते हैं, आपस में गले मिलते हैं तथा नये अनाज की बालों को भूलकर एक – दूसरे को सद्भाव एवं मित्रता के प्रतीक के रूप में वितरित करते हैं।
होलिका – दहन से अगला दिन दुल्हैंडि या फाग का होता है। इस दिन प्रात: काल से दोपहर तक बच्चे- बूढ़े, युवक- युवतियाँ सभी रंग खेलते हैं। चारों ओर रंग तथा गुलाल उड़ता दिखाई पड़ता है। कहीं बच्चे पिचकारी मार रहे हैं तो कहीं ग़ुब्बारे, कहीं युवक एक – दूसरे के गालों पर गुलाल लगाकर मस्ती में नाच रहे हैं, तो कहीं युवतीयों की टोली ढोलक- मजीरे बजाती हुई नाचती दिखाई दे रही है। गलीयों, बाज़ारों तथा सड़कों पर जिधर देखिय मस्ती, अल्लास एवं आनन्द का सागर हिलोरें मारना हूया दिखाई पड़ता है। लोग धर्म, जाति, सम्प्रदाय, वर्ण आदि के भेदभावों को भुलाकर एक- दूसरे के गले मिलते हैं। इस दिन ऊँच- नीच, अमीर- ग़रीब, शिक्षित- अशिक्षित आदि का प्रार्थ्क्र्य मिट जाता है। प्रेम, एकता एवं सोहार्द ही होली के प्राण हैं। ब्रज की होली तो अत्यन्त प्रसिद्ध है।
कुछ लोग इस दिन की पवित्रता को शराब, भाँग आदि पीकर अपवित्र करते हैं। वे गुलाल आदि की जगह तेल के रंग, तारकोल, कीचड़, गोबर आदि का प्रयोग करते हैं और अभद्र प्रदर्शन करते हैं जिससे अनेक बार हर्ष विषाद में बदल जाता है तथा होली के पुनीत आदर्शो पर चोट लगती है। हमारे कर्तव्य है कि हम ऐसे कुकृत्यों से दूर रहें तथा हर्षोल्लास, एकता एवं मिलन के इस पावन पर्व को प्रेमपूर्वक मनायें।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Holi In Hindi – होली पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
More Articles:
Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध