Here you will get Paragraph and Short Essay on Road Accident in Hindi Language for students of all classes in 300 and 600 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में सड़क दुर्घटना पर निबंध मिलेगा।
Short Essay on Road Accident in Hindi – सड़क दुर्घटना पर निबंध
Short Essay on Road Accident in Hindi – सड़क दुर्घटना पर निबंध (300 Words)
आधुनिक युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उम्र है विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति के साथ मशीनों पर अधिक से अधिक निर्भर हो रहा है। पुराने समय में मनुष्य के उत्पादन, यात्रा और परिवहन के धीमे साधन थे। अब इस मशीन की उम्र में हमारा तेज़ मतलब है, लेकिन ये साधन जोखिम भरा है। आजकल दुर्घटनाएं आम हो गई हैं लगभग हर दिन हम सड़क, रेल या हवाई दुर्घटनाओं या दुर्घटनाओं को देखते या पढ़ते हैं। थोड़ी लापरवाही के कारण दुर्घटना हो सकती है। पिछले हफ्ते यह बहुत ठंडा था। यह एक संदिग्ध दिन था। घने कोहरे ने पूरे शहर को झुकाया था मैं अपने कॉलेज में जा रहा था। एक टैक्सी विपरीत दिशा से आ रही थी चालक बेदम में टैक्सी चला रहा था।
यह एक संदिग्ध दिन था। घने कोहरे ने पूरे शहर को झुकाया था मैं अपने कॉलेज में जा रहा था। एक टैक्सी विपरीत दिशा से आ रही थी चालक बेदम में टैक्सी चला रहा था यह एक बिजली के ध्रुव के खिलाफ मारा तारों पर एक बड़ा स्पर्किंग था हम भाग्यशाली थे कि उस समय वहाँ एक बिजली की विफलता थी, अन्यथा इससे बहुत नुकसान हुआ होगा। जल्द ही एक भीड़ वहां इकट्ठी हुई कर-चालक जो शराब के प्रभाव में लग रहा था। भागने की कोशिश की लेकिन कुछ लोगों ने उसे पकड़ा और उसे पुलिस को सौंप दिया।
टैक्सी में यात्रियों को गंभीर चोटें मिलीं, उन्हें अस्पताल ले जाया गया। प्रेस भी जगह पर पहुंचे। टैक्सी ड्राइवर दुर्घटना के लिए जिम्मेदार था। उसकी टैक्सी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। यह वास्तव में एक संकीर्ण बच था अगर हम उचित देखभाल और सावधानी बरतते हैं, तो हम दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं। पेय और ड्राइव को एक साथ मिश्रित नहीं किया जा सकता है। ट्रैफिक पुलिस को एक ऐसे ड्राइवर का लाइसेंस रद्द करने का पूरा अधिकार दिया जाना चाहिए, जिसमें नशे में ड्राइविंग किया जाता है। यह इतनी बहुमूल्य जीवन बचा सकता है|
Short Essay on Road Accident in Hindi – सड़क दुर्घटना पर निबंध ( 600 Words )
पिछले रविवार मैं अपने मित्र के साथ भ्रमण करने के लिए मोटर साइकिल पर होशियारपुर से चिन्तपूर्णी, ज्वाला जी और कांगड़ा के लिए चल पड़ा में मैं पहाड़ों में कभी बस द्वारा नहीं जाता। इसके दो कारण हैं, एक तो पहाड़ों में बस द्वारा यात्रा करने में मुझे बहुत भय लगता हैं। बसचालक तो प्रतिदिन के अभ्यास के कारण गाड़ी तेज़ चलाने के अभ्यस्त हो चुके होते हैं, परन्तु मुझे हर समय भय रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। दूसरा कारण यह है कि बस द्वारा यात्रा करते हुए इधर-उधर गहरी खड्डों में ध्यान चला जाता है जिससे दुर्घटना का भय और भी बढ़ जाता है ।
बस और मोटर साइकिल द्वारा यात्रा की तुलना करता हुआ मैं जा रही था कि अचानक मेरा ध्यान दूर एक शिखर पर पड़ा। ओफ़ ! यह क्या हुआ? यह तो बस लुढ़क गई। बस उस चोटी पर तीखा मोड़ काट रही थी। शायद बस चालक बस का नियन्त्रण खो बैठा और वह बस को मोड़ न सका। बस सड़क के किनारे के पत्थरों को धकेलते हुई उस गहरी खड्ड में गिर गई। इस दुर्घटना को देखकर मेरा रहा-सहा साहस भी जाता रहा । मैं अविलम्ब वहां पहुंच कर लोगों की सहायता में जुट जाना चाहता था। पर मैं इतना घबरा गया था कि मेरे लिए आगे बढ़ना कठिन हो गया। परन्तु बड़ी कठिनाई से मैं उस चोटी तक पहुंचा। मेरे पहुंचते-पहुंचते बहुत से लोग वहां इकट्ठे हो गए थे।
सभी 200 फुट नीचे खड्ड की ओर देख रहे थे। वह दृश्य बड़ा दर्दनाक था। नीचे से औरतों, बच्चों और पुरुषों के चीखने-चिल्लाने की और ‘बचाओ-बचाओ’ को आवाजें आ रही थीं। बस मार्ग में पत्थरों और वृक्षों को तोड़ती हुई कई बार लोट-पोट होती हुई नीचे खड्ड में जा गिरी थी। इस दृश्य को देख कर मुझे चक्कर आ गया । दिल घबराने लगा आंखों के सामने अन्धेरा आ गया । वहां पास ही बहते हुए झरने से पानी पी कर मैं कुछ ठीक हुआ। इतने में कुछ डाक्टरों सहित पुलिस भी आ गई और बहुत से लोग इकट्ठे हो गए। जो भी बस आती वहीं रुक जाती और सभी लोग घटनाग्रस्त लोगों को निकालने के लिए तत्पर हो गए।
प्रश्न तो यह था कि इतनी गहरी खड्ड में उतरने का कोई मार्ग न था। अन्त में कुछ साहसिक युवक मार्ग बनाते हुए नीचे उतरते गए। उनके साथ डाक्टर भी गए। मैं भी साथ हो लिया। नीचे जा कर जो देखा उससे तो कलेजा फटा जा रहा था। कोई भी यात्री ऐसा न था जो गहरी चोटों से बच सका हो। आधे से ज्यादा लोग तो मर चुके थे । कइयों के अंग-प्रत्यंग कट चुके थे। कुछ बच्चे और स्त्रियां तो ऐसी थीं जिन्हें पहचानना भी कठिन था। बड़ी कठिनाई से घायलों को बाहर निकाल कर निकट के हस्पताल में भेजा गया। इनमें से भी पांच मार्ग में ही प्राण तोड़ गए, चार हस्पताल में मर गए, जो शेष बचे उनकी दशा चिन्ताजनक थी।
पलिस ने लोगों की सहायता से सभी शवों को खड्ड से निकाला। जिनके सम्बन्ध में जानकारी मिल सकी उनके सम्बन्धियों को सूचना दे दी गई। बहुत से सम्बन्धी तो दुर्घटना का समाचार पाते ही वहां आ गए। लाशें चार दिन तक रखी गई । अन्त में चार शव ऐसे रह गए जिनकी पहचान न हो सकी। अन्त उन लावारिस लाशों की सरकार ने अन्तिम संस्कार कर दिया। हिमाचल सरकार ने मृतकों के परिवारों को 25-25 हज़ार रुपये दिए और घायलों के इलाज का सारा व्यय भी दिया।
इस दुर्घटना में बस चालक भी मर चुका था। उसके पोस्टमार्टम से पता लगा कि उसने शराब पी रखी थी। जो लोग बच गए उनसे पता लगा कि बसचालक गाड़ी बड़ी तेज़ चला रहा था । यात्रियों ने उसे बार-बार गति मन्द करने को कहा, पर शराब के नशे में उसने किसी को भी न सुनी। अन्त में इस चोटी पर पहुंचते ही बस का सन्तुलन बिगड़ गया। उसने ब्रेकें भी लगाई। लेकिन सब व्यर्थ ।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Short Essay on Road Accident in Hindi – सड़क दुर्घटना पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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