Here you will get Long and Short Speech on Dr BR Ambedkar in Hindi Language for students of all Classes in 300 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में बी आर अम्बेडकर पर भाषण मिलेगा।
Speech on Dr BR Ambedkar in Hindi – बी आर अम्बेडकर पर भाषण
Short Speech on Dr BR Ambedkar in Hindi Language – बी आर अम्बेडकर पर भाषण ( 300 words )
आजाद भारत के सर्वप्रथम कानून मंत्री भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के मोहोर गाँव में हुआ था। इनका जन्म एक शैन्य परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजीराव और माता का नाम भीमा बाई था। इनके पिता भारतीय सेना में सुबेदार थे। जब अम्बेडकर का जन्म हुआ उस समय भारत में जाति के नाम पर छुआछुत जैसी समस्या चल रही थी जिसका सामना उन्हें भी करना पड़ा।
अम्बेडकर बहुत ही उच्च कौशल, समाज सेवी और सुझ बुझ वाले इंसान थे। उन्होंने अपनी बैचुलर ऑफ आर्टस मुंबई से पुरी की।
उसके बाद वह बड़ौदा के राजा से छात्रवृति प्राप्त कर अमेरिका चले गए। वहाँ कोलंबिया विशविद्यालय से उन्होनें अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उन्होंने लंदन से कानून की भी पढ़ाई की। उन्होंने अलग अग तरह के कार्य किए। कभी अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में , कभी वकील बनकर और कभी समाज सेवी बनकर। 1923 में उन्होंने मुंबई हाई कॉर्ट में वकालत शुरू की थी। भीमराव अम्बेडकर को हमारे भारतीय सविधान का पिता भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने इसके निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी। इन्होंने सारी उमर दलितों को उनका हक दिलाने और जाति के नाम पर भेदभाव खत्म करमे में गुजारी थी। यह लोगों में बहुत ही प्रिय थे।
इन्होंने असमानता को खत्म करने के लिए निम्न वर्ग के लोगों को 10 साल तक आरक्षण दिया था पर जू इन्होंने आरक्षण खत्म करना चाहा तो यह चुनाव हार गए। वह एक लेखक भी थे। उन्होनें कोलंबिया में एक पुस्तक भी लिखी ” वेटिंग फेर दी विजा” जिसमें उन्होंने जाति के नाम से भेदभाव की उत्पीड़न के विषय में लिखा है। यह पुस्तक कोलंबिया विशविद्यालय में पाठ्य पुस्तक के रूप में पढ़ाई जाती है। 1948 में अम्बेडकर मधुमेह रोग से गरस्त हो गए। 6 दिसंबर 1956 में उनका देहांत हो गया। उनका योगदान भारत में हमेशा ही याद रखा जाएगा।
Speech on Dr BR Ambedkar in Hindi – बी आर अम्बेडकर पर भाषण ( 500 words )
डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है। जब हमारे देश में छुआछुत जैसी असमानता चल रही थी तब 14 अप्रैल, 1891 को भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के मोहोर गाँव में हुआ था। इनका जन्म एक सैन्य परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी राव था जो कि भारतीय सेना में एक सुबेदार थे। अम्बेडकर की माता का नाम भीमाबाई था। बचपन में अम्बेडकर को भी असमानता का बहुत सामना करना पड़ा जिस कारण वह संस्कृत भाषा भी नहीं पढ़ सके।
अम्बेडकर बहुत ही अच्छे लेखक, सामाजिक सार्य कर्ता, सुवक्ता थे। वह हमारे भारतीय सविधान के पिता के रूप में भी जाने जाते है क्योंकि उन्होनें सविधान का निर्माण करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने मुमंबई में बैचुलर ऑफ आर्टस में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उसके पश्चात वह राजा द्वारा छात्रवृति प्राप्त कर पढ़ने के लिए अमेरिका चले गए। वहाँ कोलंबिया विशविद्यालय से उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। वह अपनी पीढ़ी के सबसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति थे। वह स्वच्छ भारत के पहले कानुन मंत्री थे। उन्होंने अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया।
उन्होंने लंदन जाकर एमएसी और बैरिस्ट्र की पढ़ाई की। 1923 में उन्होंने मुंबई हाई कॉर्ट में वकालत शुरू की। उन्होंने अपनी पुरी जिंदगी दलितों को उनका अधिकार दिलाने और असमानता खत्म करने में बिता दी। उन्होंने हमेशा समाज के हित के लिए कार्य किया। उन्होंने देश को अलग अलग तरीके से अपनी सेवा प्रदान की। कभी प्रोफेसर, सामाजिक कार्य कर्ता, कानुन मंत्री, लेखक और वक्ता आदि के पद पर कार्यरत रहे। उनमें आत्म विश्वास, सुझ बुझ, ग्यान और कुछ कर गुजरने का कौशल कुट कुट कर भरा था। अपने दृढ़ संकल्प के बल पर ही वह अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी कर सके थे। गाँधी जी की दांडी मार्च से तकरीबन तीन साल पहले सत्याग्रह अंबेडकर चलाया गया था जो कि पीने के पानी के लिए था।
सविधान लिखते वक्त उन्होंने निम्म वर्ग के लोगों के लिए 10 साल का आरक्षण तय किया था ताकि इन 10 सालों में जाति के नाम पर भेदभाव खत्म किया जा सके। जब बाद में अम्बेडकर ने आरक्षण खत्म करना चाहा तो वह चुनाव भी हार गए। भीमराव अम्बेडकर ने बहुत सी पुस्तकें भी लिखी जिनमें से एक उन्होंने कोलंबिया में रहकर लिखी थी और उसका नाम था ” वेटिंग फोर दी विजा” जिसके अंदर उन्होंने भारत में उनके साथ हुई असमाना से उत्पीड़न की कथा लिखी थी। वह पुस्तक कोलंबिया विशविद्यालय में पाठ्य पुस्तक के रूप में भी पढ़ाई जाती है। उनका पुरा जीवन सभी को समानता दिलाने की इर्ध गिर्ध ही घुमता रहा है। वह लोगों में बहुत ही पसंद किए जाते थे।
लोग उन्हें अलग अलग नामों से भुलाते थे जैसे बाबा साहेब और भीमा आदि। भीमराव अम्बेडकर को भारक के सबसे बड़े पुरूष्कार भारतरत्न से सम्मानित किया गया था। वह दलितों के मसीहा थे। 1948 में वह मधुमेह रोग से ग्रस्त हो गए थे। 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया। हर साल 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह अमेरिका और लंदन में भी मनाई जाती है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। भारत की प्रगति में भीमराव अम्बेडकर के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
हम आशा करते हैं कि आप इस भाषण ( Speech on Dr BR Ambedkar in Hindi – बी आर अम्बेडकर पर भाषण ) को पसंद करेंगे।
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