Short Essay On Chhatrapati Shivaji in Hindi Language for students of all classes in 450 words
Essay On Chhatrapati Shivaji In Hindi | छत्रपति शिवाजी पर निबंध : गौरव गुमान शिवाजी का जन्म सन 1627 में शिवनेरी के दुर्ग में हुआ था। माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शाहजी था। शिवाजी के जन्म के कुछ समय बाद सौत के आ जाने से माता जीजाबाई शिवनेरी का दुर्ग छोड़कर पूना चली गई थीं। अत: शिवाजी का लालन- पालन माता के ही संरक्षण में हुआ। माता ने उनके चरित्र को उच्च बनाने में कुछ उठा न रखा।
Essay On Chhatrapati Shivaji In Hindi | छत्रपति शिवाजी पर निबंध
उन्होंने बचपन में माता से रामायण के बाल वीर लव- कुश और महाभारत के वीर अभिमन्यु आदि बड़े- बड़े वीर योद्धाओं की कहानीयाँ सुनीं, जिससे बचपन में ही उनमें शौर्य और उत्साह कूट- कूटकर भर गया। वे शेशव काल से ही मल्लयुद्ध, भाले- बर्छे और बाणविद्या सिखने लग गए थे। थोड़े दिनो के अभ्यास से ही सब कुछ सीख गए। उन पर जातीय प्रेम भरी शिक्षाओं को प्रभाव समर्थ गुरू रामदस जी का पड़ा।
शिवाजी ने शेशवकाल में ही बालकों के दल बना- बनाकर कृत्रिम युद्ध आरम्भ कर दिया। फिर कुछ ही समय में अपनी शक्ति बढ़ा ली। उनके पिता शाहजी बीजापुर के दरबार में उच्च पद पर थे। उनकी इच्छा थी- शिवाजी भी बादशाहत में कोई उच्च पद प्राप्त करें। परन्तु शिवाजी पर कुछ और ही रंग चढ़ा हुआ था। पिता की बात न मानकर वे दल सहित बीजापुर के दुर्गों पर धावे बोलने लगे। दो ही वर्षों में उन्होंने तोरण, सिंहगढ पुरंदर आदि दुर्गों पर अधिकार कर लिया। थोड़ी सेना होने के कारण वे मुग़लों पर छिपकर आक्रमण किया करते थे।
उन दीनों दिल्ली में औरंगज़ेब का शासन था। शिवाजी को राजा जयसिंह के द्वारा उसने अपने पास बुलवाया। दिल्ली दरबार में उचित सम्मान न मिलने से शिवाजी बिगड़ उठे। फलतः बन्दी बना लिए गए। अपनी चतिराई से मिठाई के टोकरे में बैठकर कारागार से निकल भागे। फिर सिर मुंडवा कर काशी, जगन्नाथपूरी आदि तीर्थों के दर्शन करते हुए अपनी राजधानी सिंहगढ़ जा पहुँचे।
कुछ समय बाद मुग़लों से युद्ध छिड़ गया। इस अवसर पर शिवाजी ने संधि कर ली। औरंगज़ेब ने शिवाजी को राजा घोषित कर दिया। किन्तु सिंह और गीदड़ की क्या बराबरी! कुछ समय बाद फिर युद्ध ठन गया। अब शिवाजी की शक्ति बढ़ चुकी थी। उन्होंने सूरत और कई नगरों को लूटकर रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। अभी वे अपने राज्य को भली प्रकार सम्भाल भी न पाए थे की सन 1680 में 53 वर्ष की अवस्था में स्वर्ग सिधार गए।
शिवाजी में राज्य- प्रबन्ध की विलक्षण शक्ति थी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि भूषण उनके दरबारी कवि थे। उन्होंने शिवाजी की प्रशंसा में “शिवा बावनी ” ग्रंथ की रचना की। हमें शिवाजी से शौर्य, सच्चरित्रता और जाती- उन्नति की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। वास्तव में इस समय भारत को शिवाजी जैसे वीरों की ही आवश्यकता है।
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