Get information about Chandrashekhar Azad in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Chandrashekhar Azad in Hindi Language for School Students and Kids of all Classes in 100, 200, 400 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध मिलेगा।
Essay on Chandrashekhar Azad in Hindi – चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध
Short Essay on Chandrashekhar Azad in Hindi – चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध ( 100 words )
चंद्रशेखर भारत के अग्रिम स्वतंत्रता सैनानियों में से एक थे जिनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को भारत के मध्यप्रदेश राज्य के भाँवरा गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था। चंद्रशेखर ने भगत सिंह के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था। चंद्रशेखर आजाद ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिप्बल्केशन एशोसिएसन की स्थापना की थी जिसका मुख्य उद्देश्य ऐसे लोगों को एकत्रित करना था जो देश को आजाद करानै के लिए जोश से भरपूर हो। 27 फरवरी, 1931 को इल्हाबाद के अल्फ्रड पार्क में आजाद को वीरगति की प्राप्ती हुई थी।
Essay on Chandrashekhar Azad in Hindi Language – चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध (200 Words)
चन्द्रशेखर आजाद को कौन नहीं जानता है कि भारत की आज़ादी मे उनकी मृत्यु हो गई, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में काफी योगदान दिया था। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। आपके पिता का नाम सीताराम तिवारी था और आपकी मां का नाम जुंकर देवी था। आजाद के बचपन को आदिवासी इलाकों के माध्यम से पारित किया गया था और उन्होंने भीलों के साथ रहने के दौरान एक अच्छा धनुष वान चलाने के लिए सीखा था, इसलिए वह बचपन में एक अच्छा शूटर बन गए।
चन्द्रशेखर आजाद 14 साल की उम्र में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े थे, और इस आंदोलन के कारण, जब चंद्रशेखर ने आपसे अपने पिता का नाम पूछा, गिरफ्तार किया गया, आजाद के पिता ने उन्हें स्वतंत्रता का नाम दिया और जेल के नाम से माँ का नाम रखा। आपका नाम चन्द्र शेखर आजाद था। 27 फरवरी, 1931 को, पुलिस इलाहाबाद में चंद्रशेखर आजाद को घेर लिया और चारों दौर से चन्द्र शेखर आजाद को पुलिस का सामना करना पड़ा लेकिन चन्द्र शेखर ने शपथ ग्रहण की कि वह कभी भी जीवित पुलिस का जीवन नहीं लेते जब उसका एक बुलेट बच गया, तो उसने खुद को गोली मार दी।
Essay on Chandrashekhar Azad in Hindi – चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध (400 Words)
चन्द्रशेखर आजाद (जन्म का नाम: चंद्रशेखर तिवारी) का जन्म 23 जुलाई 1906 को भावरा गांव, अलीराजपुर जिले, मध्य प्रदेश में हुआ था। वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के प्रमुख थे। वह भगत सिंह के गुरु के रूप में जाना जाता था।
चंद्रशेखर आज़ाद सीताराम तिवारी और जग्रानी देवी से पैदा हुए थे। जब वह केवल 15 वर्ष का था तो वह महात्मा गांधी के नेतृत्व में गैर-सहकारी आंदोलन में शामिल हो गए थे। और इस प्रकार, उन्हें अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ गिरफ्तार किया गया। अदालत में पेश किए जाने पर प्रसिद्ध लाइन “नाम – आजाद ‘, पिता का नाम -‘ स्वतंत्र ‘और’ जेल ‘का निवास – उनके द्वारा बोली जाती थी। तब से उन्हें आजाद कहा जाता था। गैर-सहयोग आंदोलन में शामिल होने से पहले, चंद्र शेखर आजाद ने संस्कृत में काशी विद्यापीठ, बनारस में प्रारंभिक शिक्षा की।
इतने युवा को गिरफ्तार करने के बाद, आज़ाद स्वतंत्रता की दिशा में अधिक ध्यान केंद्रित किया और अपनी ऊर्जा को उसी दिशा में निर्देशित किया। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को निशाना बनाया और 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल होने का फैसला किया, लाला लाजपतराई की हत्या का बदला लेने के लिए, 1926 में वाइसरॉय की ट्रेन और सांडर्स की शूटिंग की घटना। वह किसी भी भेदभाव के बिना एक स्वतंत्र भारत को देखने के लिए प्रतिबद्ध था ताकि प्रत्येक भारतीय अपनी इच्छा के अनुसार जी सकता है वह भारत की समृद्धि के लिए समाजवादी सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए भी इच्छुक थे।
ब्रिटिश पुलिस उसके बारे में बहुत डरती थी और उसे मारने के तरीके ढूंढने पर रखा था। लेकिन आज़ाद ने ज़िंदा नहीं पकड़े जाने की शपथ रखी। इस प्रकार, उन्होंने 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने आप को गोली मारकर हत्या कर दी, जब एक मुखबिर ने ब्रिटिश पुलिस को अपने ठिकाने के बारे में बताकर उसे धोखा दिया। खुद को मारने से पहले, वह कई ब्रिटिश पुलिसकर्मियों को मारने और दूसरों को घायल करने में सफल रहा।
लेकिन जाने से पहले उन्होंने भारतीयों की हिम्मत और देशभक्ति की भावना को खोने का उदाहरण नहीं दिया। अपने वादे के द्वारा खड़े होकर और भयंकर और दृढ़ हो। वह पीढ़ी को प्रेरित करता है इस प्रकार, उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है।
Essay on Chandrashekhar Azad in Hindi – चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध ( 500 words )
भूमिका-
भारत हमेशा से ही वीरों का देश रहा है और यहाँ पर बहुत से स्वतंत्रता सैनानी हुए है। चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे अग्रिम सैनानी थी जिन्होंने देश को आजादी दिलाते दिलाते वीरगति प्राप्त की थी। उनसे प्रेरित होकर बहुत से लोगों ने देश की आजादी में हिस्सा लिया था।
जन्म-
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के भाँवरा नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी था जो कि मध्य प्रदेश के किसी रियासत में सरकारी नौकरी करते थे। आजाद की माता का नाम जगरानी देवी था। आजाद ने बचपन में भील के बच्चों के साथ तीरंदाजी सिखी थी।
प्रथम घटना-
1911 में हुए जलियावाला हत्याकांड ने आजाद को झकझोर कर रख दिया था और गाँधी जी के द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन ने उन्हें काफी प्रेरति किया और वह क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ गए।
क्रांतिकरी गतिविधियाँ-
चंद्रशेखर आजाद ने सबसे पहले 9 अगस्त, 1925 काकौरी कांड में हिस्सा लिया था। असहयोग आंदोलन के अचानक बंद होने से आजाद बहुस नाराज हुए ओर उनकी विचारधारा बदल गई थी। उन्होंने अहिंसा के राह तो त्याग कर हिंसा के पथ को अपना लिया था। भगत सिंह भी उनके साथ मिल गए थे। आजाद ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए 17 दिसंबर, 1928 सांडर्स की हत्या की थी और अंग्रेजो के दिलों में डर पैदा करने के लिए 8 अप्रैल, 1929 को सैंट्रल असैम्बली में बम भी फेंका था।
क्रांतिकारी संगठन-
चंद्रशेखर आजाद ने देश को आजाद करानो के लिए एक क्रांतिकारी संगठन का गठन किया था जिसका नाम उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिप्बलिकेशन एशोसिएसन रखा था। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को एकत्रित करना था जो गर्म जोश वाले हो और जो देश को आजाज कराने का जुनुन रखते है।
बलिदान-
सैंट्रल असैंबली में बम गिराने पर आजाद के तीन मित्रों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सजा दी गई थी जिसे कम कराने का आजाद ने बहुत प्रयास किया था। एक दिन वह अल्सर्ड पार्क में इसी सिलसिले में अपने मित्र से मिल रहे थे और तभी वहाँ सीआईडी और पुलिसवाले आ गए और गोली चलानी शुरू कर दी थी। इसी दौरान 27 फरवरी, 1931 को चंद्रशेखर आजाद को वीरगति की प्राप्ती हुई थी। उन्होंने अपनी जान खुद को गोली मार कर ली थी क्योंकि वह अंग्रेजों के हाथों मरना नहीं चाहते थे और जिस पार्क में उन्होंने वीरगति प्राप्त की थी उसका नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क रख दिया गया था।
निष्कर्ष-
चंद्रशेखर आजाद एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनकी मृत्यु के बाद आजादी की क्रांति ने और भी तीव्रता प्राप्त कर ली थी और बहुत से लोगों ने इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लिया था। आज भी जब कभी स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र किया जाता है तो सबसे पहले चंद्रशेखर आजाद को ही याद किया जाता है। आजाद मर कर भी लोगों के दिलों में जिंदा है और उनका जीवन एक आदर्श जीवन था।
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