Get Paragraph and Short Essay on Demonetisation in Hindi Language / Essay on Demonetization in Hindi/ Notebandi Par Nibandh for students of all Classes in 100, 200, 300 and 600 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में विमुद्रीकरण पर निबंध मिलेगा।
Essay on Demonetisation in Hindi – विमुद्रीकरण पर निबंध
#1 Essay on Demonetisation in Hindi – विमुद्रीकरण पर निबंध ( 100 words )
विमुद्रीकरण भारत में पहले से ही होता आ रहा है और यह एक ऐसी प्रिक्रिया है जिसमें पुराने नोटों को बंद करके नए नोट जारी किए जाते है। विमुद्रीकरण का मुख्य उद्देश्य देश से काला धन और नकली नोटो को समाप्त करना होता है। 8 नवंबर, 2016 में हुई नोटबंदी में 500 और 1000 के नोटों को बंद कर 2000 के नोट जारी किए गए है। विमुद्रीकरण से काला धन, आतंकवाद और नशे पर लगाम लगा है और साथ ही भारत डीजिटल भी हुआ है क्योंकि नोटबंदी के दौरान सारा लेन देन डीजिटल ही हुआ था। विमुद्रीकरण देश के लिए लाभकारी साबित हुआ है।
#2 Essay on Demonetisation in Hindi Language – विमुद्रीकरण पर निबंध ( 200 words )
विमुद्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार पुरानी करंसी को बदल कर नई करंसी जारी कर देती है। भारत देश में विमुद्रीकरण पहले भी बहुत बार हो चुका है लेकिन इस बार मोदी सरकार के द्वारा भी नोटबंदी की गई थी। 8 नवंबर, 2016 को नरेंद्र मोदी जी ते द्वारा नोटबंदी की घोषणा की गई थी जिसके अंदर 500 और 1000 के नोटों का प्रचलन बंद किया गया था और बाजार में 2000 का नया नोट लाया गया था। विमुद्रीकरण का मुख्य उद्देश्य भारत में से काला धन और नकली नोटों को खत्म करना था क्योंकि उस समय यहाँ पर काला धन बहुत ही ज्यादा मात्रा में मौजुद था।
विमुद्रीकरण के समय पर लोगों को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन वह हमारे लिए लाभकारी भी साबित हुई थी। विमुद्रीकरण से जिन लोगों के पास काला धन था वह धन नहीं बदलवा पाए क्योंकि उन पर आय विभाग वाले जाँच कर सकते थे। काला धन कम होने के साथ साथ आतंकवाद और नशा भी कम हुआ है। विमुद्रीकरण से काला धन काफी हद तक खत्म हुआ है और लोगों को बहुत लाभ हुआ है। विमुद्रीकरण से भारत डीजिटल भी बना है क्योंकि उस समय सारा लेन देन डीजिटल ही हुआ था। विमुद्रीकरण ने अर्थव्यवस्था को सुधारने में सहायता की है।
#3 Short Essay on Demonetisation in Hindi Language – विमुद्रीकरण पर निबंध ( 300 words )
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण का निर्णय लिया और लोगों को पुरानी पांच सौ और एक हज़ार रुपये के नोट्स का आदान-प्रदान करने के लिए पचास दिन देने का फैसला किया। हर कोई इस पर अपनी राय दे रहा है, यह देश के पक्ष में एक बहुत ही मजबूत निर्णय लिया गया है। हमें हमेशा देश की मुद्रा का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है।
लोकतंत्र में विपक्ष न केवल सरकार की आलोचना करना बल्कि अच्छे फैसले की भी प्रशंसा करना है क्योंकि राजनीति केवल तभी चलती है जब देश अच्छी तरह से चल रहा हो। दानव के निम्नलिखित प्रभाव हैं: –
• यह काले धन को प्रभावित करता है।
• नकली नोटों के रूप में वित्त पोषण को कम करके यह आतंकवाद को कम करता है।
• यह सरकारी खजाने में पैसा बढ़ाता है।
लेकिन सब कुछ दो तरह का है अर्थात बैंक प्रबंधक पुराने नोट्स का आदान-प्रदान करके पैसे कमाने का अवसर उपयोग करता है और इसके लिए कुछ दान लेता है। इस विधि के कारण कुछ लोग अपना पैसा सफेद बनाते हैं। देश के आदमी को पैसे के लिए लंबी कतार का सामना करना पड़ता है, कुछ विवाह ब्रेक प्राप्त करते हैं। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि हर अच्छे काम को बलिदान की ज़रूरत है, यह केवल यही है। प्रधान मंत्री देशवासियों के लिए बहुत आभारी हैं क्योंकि पूरे देश को भारत भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए एक साथ खड़ा है।
विपक्ष की आलोचना क्योंकि वह कई लोगों द्वारा प्रस्तावित दानव के अवसर को विफल कर देता है। समाज और देश के लिए कल्याण और कल्याण के लिए इस तरह के कदमों की हमेशा आवश्यकता होती है लेकिन हमें प्रधान मंत्री मोदी की तरह साहस के साथ एक आदमी की आवश्यकता होती है क्योंकि यह सही कहा जाता है कि साहस वाला व्यक्ति बहुमत है।
#4 Essay on Demonetisation in Hindi Language – विमुद्रीकरण पर निबंध ( 600 words )
विमुद्रीकरण एक ऐसी प्रिक्रिया है जिसमें सरकार देश में प्रचलित पुरानी मुद्रा को बंद कर देती है और नई मुद्रा लागु करती है। विमुद्रीकरण के अंतर्गत ज्यादातर बड़े नोटों को ही बदला जाता है। भारत में भी 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमुद्रीकरण की घोषणा की जिसके अंतर्गत 500 और 1000 के सभी नोटों को बदला गया। विमुद्रीकरण को छोटा नाम नोटबंदी भी दिया गया है। भारत में उस समय बहुत से जाली नोट और काला धन था जिससे देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही थी। विमुद्रीकरण से सरकार ने नकली नोटों और काले धन को खत्म करने का प्रयास किया था।
विमुद्रीकरण हमारे भारत देश के लिए कोई नई बात नहीं थी। यह हमारे देश में पहले भी कई बार हो चुका है। हमारे भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सबसे पहले भारत में विमुद्रीकरण लागु किया था जिसमें 1000 और 5000 के नोट बंद किए गए थे। 2016 में हुए विमुद्रीकरण में लोग पुराने नोट 31 दिस्मबर, 2016 तक बदलवाए जा सकते थे। उसके बाद नोच सिर्फ आरबीआई में बदले जाने थे। एक व्यक्ति एक बार में सिर्फ 2000 ही बदलवा सकता था।
नोटबंदी के दौरान पूरा भारत कैसलैस हो गया था। सारा लेन देन ओनलाईन हो गया था। विमुद्रीकरण के दौरान लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्थाई मुद्रा न होने के कारण लोग शादी भी धूमधाम से नहीं कर पा रहे थे। शादी का कार्ड दिखाने पर बैंक से उन्हें एक लाख रुपये मिल जाते थे। नोटबंदी से सरकार को सभी लोगों के धन के विषय में जानकारी प्राप्त हुई। जिस व्यक्ति के पास आय से ज्यादा पैसे थे यानि कि काला धन था या तो वह बैंक से नोट बदलवाने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे या फिर आयकर विभाग की चपेट में आ रहे थे। इस तरह नोटबंदी से काला धन काफी हद तक समाप्त हुआ। एकत्रित हुआ काला धन ही आंतकवाद को बढावा देता है। काले धन की समाप्ति के साथ साथ आंतकवाद की भी समाप्ति हुई थी।
विमुद्रीकरण से देश को आर्थिक मजबूती प्रदान हुई है और देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। साथ ही विमुद्रीकरण की वजह से लोगों के काम में बहुत ही मंदी आई है। खासतौर पर सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन स्थलों को हुआ था क्योंकि उस समय स्थाई मुद्रा का अभाव होने के कारण विदेशों से आने वाले लोगों ने भारत भ्रमण का प्लान स्थगित कर दिया था। विमुद्रीकरण में 500 और 1000 के नोट बदलकर 500 के नए नोट और 2000 के नोट शुरू कर दिए गए थे। 2000 का नोट गुलाबी रंग का है। देखने में ये नए नोट खेल के नोटोम जैसे लगते है। विमुद्रीकरण की वजह से सरकारी कोष में बहुत सा धन एकत्रित हुआ है जिसे जन कल्याण के लिए प्रयोग किया जाता है।
कोष में पैसा आने से बैंको में भी पैसा बढ़ा है और ब्याज दर में गिरावट आई है। काले धन के जुर्म में फँसने के चक्कर में और आयकर में छुट मिलने से लोगों ने नियम से आयकर भी बढ़ा है जिससे आयकर में वृद्धि हुई है। विमुद्रीकरण ने लोगों को थोड़े दिन की परेशानी जरूर दी थी लेकिन इससे बहुत ही ज्यादा लाभ भी हुआ है। विमुद्रीकरण की योजना उतनी सफल नहीं रही जितनी होनी चाहिए थी लेकिन फिर भी काफी हद तक इससे बहुत फायदा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कुछ सालों बाद विमुद्रीकरण अवश्य किया जाना चाहिए। ऐसा करने से देश का काला धन साथ ही साथ खत्म होता जाएगा और आंतकवाद से जुड़ी सभी समस्याएँ भी खत्म हो जाएगी। हम सबको विमुद्रीकरण की इस प्रिक्रिया का सम्मान करना चाहिए और लोगों के सहयोग से ही यह सफल हो पाएगी।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Notebandi Par Nibandh – Essay on Demonetisation in Hindi – विमुद्रीकरण पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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