Get information About Lord Krishna in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Lord Krishna in Hindi Language for Students and Kids of all Classes in 200 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भगवान कृष्ण पर निबंध मिलेगा।
Essay on Lord Krishna in Hindi – भगवान कृष्ण पर निबंध
Short Essay on Lord Krishna in Hindi Language – भगवान कृष्ण पर निबंध ( 200 words )
श्री कृष्ण जी सभी देवों में सबसे सुंदरतम देव माने जाते हैं जिन्होंने माँ देवकी के द्वारा मनुष्य के रूप में जन्म लिया था। इनका शरीर नीले रंग का है और यह अपनी रासलीला और नटखटपन के कारण सभी के प्रिय है। इनके 108 नाम है जैसे कान्हा, माधव आदि। कृष्ण जी की 108 रानियाँ है और राधा रानी उनकी प्रेमिका है। इन्हें माक्खन मिश्री बहुत ही पसंद है। इन्होंने अपने गीता के उपदेश में जीवन का सार दिया है। कृष्ण जी के चक्र का नाम सुदर्शन चक्र है और इनका बांसुरी बजाना सबको मोह लेता है।
कृष्ण को पितांबर के नाम से भी पुकारा जाता है क्योंकि यह पीले रंग के वस्त्र पहन कर रखते हैं। कृष्ण जी महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सार्थी बने थे। कृष्ण जी के मुकुट पर हमेशा मोर का पंख विद्यमान रहता है। कृष्ण जी की सवारी गरूढ़ पक्षी है। कृष्ण जी द्वारका में 6 महीने से ज्यादा नहीं रहते थे। इनका लालन पालन माता यशोदा ने किया था। कृष्ण जी के जन्म के उपलक्ष में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। कृष्ण जी सबसे चंचल व्यवहार वाले प्रभु है और लोग इनकी पूजा अर्चना करते हैं।
Essay on Lord Krishna in Hindi – भगवान कृष्ण पर निबंध ( 500 words )
भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। अवतार के रूप में इन्होंने यदु कुल में वसुदेव और देवकी के घर जन्म लिया। इनके मामा का नाम कंस था। वह मथुरा का राजा था । ज्योतिषियों ने कंस को बताया कि वसुदेव और देवकी का पुत्र उसकी हत्या कर देगा। इसी कारण कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा में कैद कर लिया था और जब भी उनके कोई सन्तान होती तो कंस उसे मार देता। कृष्ण अपने माता-पिता की आठवीं सन्तान थे। इनके जन्म पर एक योजना अनुसार इन्हें गोकुल में नन्द और यशोदा के पास भेज दिया गया । जहां इन का पालन-पोषण होता रहा।
जब कंस को पता लगा कि उसकी हत्या करने वाला कृष्ण गोकुल में पल रहा है तो उसने उन्हें मरवाने के लिए बड़े प्रयत्न किए, परन्तु वह असफल रहा। हार कर उसने कृष्ण को मथुरा बुलवा लिया। यहां भी उसे मरवाने के लिये अनेक प्रयत्न किए गए, परन्तु कंस को असफलता का मुख देखना पड़ा। अन्त में कृष्ण ने कंस का वध करके राज्य स्वयं सम्भाल लिया।
बचपन में कृष्ण मक्खन के बड़े शौकीन थे। वे अपने मित्रों के साथ लगा। के घरों में घुस कर मक्खन चुरा लिया करते थे। इसलिए उनका नाम ‘माखन चोर’ प्रसिद्ध हो गया। गोपियों के साथ उनका प्रेम विश्व-प्रसिद्ध है। वे गोपियों के साथ अनेक प्रकार की रास-क्रीडाएं करते थे। गोपियों के साथ उनका प्रेम शुद्ध प्रेम था—कृष्ण परमात्मा का रूप थे। इन गोपियों में राधा नाम की गोपी के साथ उनका प्रेम अमर हो गया। आज राधा-कृष्ण की हर स्थान पर पूजा होती है।
कृष्ण बाल्य काल से ही लोक रक्षक के रूप में हमारे सामने आए हैं। बचपन में कालिय नाग का दमन करके यमुना को सुरक्षित किया। गोवर्धन पर्वत को धारण करके लोगों को इन्द्र के क्रोध से बचाया । केशि, कंस, मुरा आदि दुष्टों का वध करके उन्होंने लोगों को आतंक से मुक्त किया।
कृष्ण उच्चकोटि के राजनीतिज्ञ भी थे। वे पाण्डवों के मित्र थे । महाभारत नामक युद्ध में उन्होंने पाण्डवों का साथ दिया। पाण्डवों की विजय का मूल कारण कृष्ण की राजनीति थी। राजनीतिज्ञ के साथ-साथ कृष्ण उच्चकोटि के ज्ञानी पुरुष भी थे। ‘श्रीमद् भगवद् गीता में उन्होंने अपने ज्ञान का निचोड़ अर्जुन को दिया। निष्काम भाव से कर्म करने का उनका उपदेश सब से महान् है। अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता था। इसका कारण यह था कि वह अपने सम्बन्धियों को मारना नहीं चाहता था। इस समय जो अध्यात्म ज्ञान कृष्ण ने दिया, उसकी तुलना संसार में कहीं भी नहीं मिलती । उन्होंने बताया कि शरीर नाशवान् है और आत्मा अमर है। उनके अनुसार मृत्यु तो केवल शरीर रूपी वस्त्र का बदलना है। 125 वर्ष की आयु में एक शिकारी के हाथों उनके शरीर का अन्त हुआ।
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