Get information about Makar Sankranti in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Makar Sankranti in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200, 300, 400, 500 and 600 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में मकर संक्रांति पर निबंध मिलेगा।
Essay on Makar Sankranti in Hindi – मकर संक्रांति पर निबंध
Essay on Makar Sankranti in Hindi – मकर संक्रांति पर निबंध ( 100 words )
मकर सक्रांति मकर सक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में अलग अलग नामों से मनाया जाता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को ही मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते है। इस दिन सुर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है। तिल और गुड़ के लड्डू इस पर्व में मिठास गोल देते है। इस दिन आसमान में पतंग ही पतंग होती है और भव्य स्तर पर भी पतंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। मकर सक्रांति का पर्व वातावरण में खुशी की लहर घोल देता है।
Short Essay on Makar Sankranti in Hindi – मकर संक्रांति पर निबंध ( 200 words )
भारत में सभी त्योहार बहुत ही खुशी से मनाए जाते है। मकर सक्रांति हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है जो कि प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस समय सूर्य उतरायन होता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है जिस कारण इसे मकर सक्रांति कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते है और शनिदेव मकर राशि के स्वामी है।
मकर सक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का महत्व है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन तिल और गुड के लड्डू मुख्य व्यंजन होते हैं। मुँगफली और रेवड़ी लोगों में बाँटी जाती है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान देते हैं। इस दिन दान देने से उसका पुण्य सौ गुणा ज्यादा मिलता है। शुद्ध देशी घी और कंबल दान करने से मोक्ष की प्राप्ती होती है। मकर सक्रांति के पर्व पर पूरा आसमान पतंगो से ढका हुआ होता है और बहुत सी पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। मकर सक्रांति दान पुण्य और स्नान का पर्व है जो सभी के जीवन में उत्साह भर जाता है।
Short Essay on Makar Sankranti in Hindi Language – मकर संक्रांति पर निबंध ( 300 words )
मकर संक्रांति हिंदु और बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन अलग अलग नामों से जैसे कि पोंगल, उतरायन आदि। यह हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह सूर्य उतरायन के समय मनाया जाता है यानि कि जब सूर्य दक्षिण से उतर दिशा की तरफ बढ़ने लगता है और इसकी वजह से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती है।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहते है और इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते है। यह फसलों की अच्छी पैदावार की खुशी में भी मनाया जाता है। यह त्योहार पूर्ण रूप से सूर्य देव से जुड़ा हुआ है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें जल अर्पित किया जाता है। इस दिन चावल और दाल की खिचड़ी का बहुत महत्व होता है। लोग गरीबों को कच्ची खिचड़ी दान करते हैं।
तिल और गुड़ भी बहुत मायने रखते है इसलिए घरों में तिल और गुड़ के अलग अलग मिष्ठान बनाए जाते हैं। लोग मुँगफली, रेवड़ी खाते हैं और दुसरों में भी बाँटते हैं। लोग तीर्थ स्थलों पर स्नान और पूजा पाठ करने के लिए जाते हैं। इस दिन दान करने से सौ गुणा पुण्य लगता है। सरसों से भरे खेत बहुत ही मनमोहक लगते हैं। यह त्योहार बसंत रितु के आगमन का भी प्रतीर है। इस दिन लोग पतंग उड़ाकर भी खुशी मनाते हैं। स्कूलों में भी बच्चे पतंग उड़ाकर मकर संक्रांति का त्योहार मनाते है। कुछ लोग जरूरतमंद लोगों को कंबल आदि भी दान करते हैं। पूरा वातावरण उमंग की लहर में डूबा होता है।
Essay on Makar Sankranti in Hindi Language – मकर संक्रांति पर निबंध ( 400 words )
भारत पर्वों का देश है जहाँ पर सभी त्योहार बड़ी खुशी से मनाए जाते हैं। मकर सक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे देश में अलग अलग नामों से जाना जाता है और अलग अलग तरह से मनाया जाता है। सूर्य के एक राशि से दुसरी राशि में जाने के सक्रांति कहते है। इस त्योहार को मनाने का कारण यह है कि कहा जाता है इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने खुद उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है इसलिए सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर सक्रांति कहलाता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह त्योहार पूर्ण रूप से सूर्य से जुड़ा हुआ है इसलिए इस तिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य देव को पानी में तिल डालकर अर्ध्य दिया जाता है।
मकर सक्रांति पर दान पुण्य का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य सौ गुणा ज्यादा मिलता है। लोग पवित्र नदियों पर स्नान के लिए जाते है और वहाँ पर दान करते हैं। इस दिन कंबल और शुद्ध घी दान करने से मोक्ष की प्राप्ती होती है। सर्दियाँ होने के कारण इस दिन लोगों को मुँगफली और रेवड़ी आदि बाँटी जाती है। तिल और गुड़ के लड्डू इस पर्व में मिठास गोल देतै है। कुछ स्थानों में मकर सक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन खिचड़ी खाना और दान देने का बहुत ही महत्व है।
इस दिन मक्की के दाने भी दान में दिए जाते है। इस पर्व को फसलों से भी जोड़ा जाता है क्योंकि इस समय धान की फसल पककर तैयार हो जाती है और उसकी कटाई की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन सुहाग के समान के लेन देन से पति की आयु भी लंबी होती है। मकर सक्रांति के पर्व पर पूरा आसमान पतंगों से भर जाता है और बहुत सी पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती है। रंग बिरंगी पतंगे आसमान में जीवन डाल देती है। हमें भी इस दिन गरीबों में दान करना चाहिए और खुशियाँ बाटनी चाहिओ। मकर सक्रांति का पर्व दान पुण्य और स्नान का पर्व है जो सभी के जीवन में खुशियाँ और मिठास लेकर आता है और सब के दिलों को उत्साह से भर जाता है।
Long Essay on Makar Sankranti in Hindi – मकर संक्रांति पर निबंध ( 500 words )
भारत में सभी पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ धुमधाम से मनाए जाते हैं। मकर सक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो कि पूरे भारत में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। उतर भारत में यह पर्व प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। मकर सक्रांति का यह पर्व सूर्य देव से जुड़ा हुआ है। मकर सक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य के एक राशि से दुसरे राशि में प्रवेश करने को सक्रांति कहा जाता है और इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते है और शनि देव मकर राशि के स्वामी है।
मकर सक्रांति के पर्व पर जगह जगह पर पंतग उड़ाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। मकर सक्रांति तिल, गुड, मुँगफली और रेवड़ी से जुड़ा हुआ त्योहार है। इस दिन घरों पर तरह तरह के व्यंजन बनाए जाते है और तिल और गुड़ से बने लड्डू आकर्षण का केंद्र होते है। मुँगफली और रेवड़ी लोगों में बाँटी जाती है। मकर सक्रांति के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है। कुछ स्थानों पर मकर सक्रांति को खिचड़ी को नाम से भा जाना जाता है क्योंकि इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष बहुत महत्व है। मकर सक्रांति के दिन सभी तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर लोग स्नान करने जाते हैं और वहाँ पर बहुत ही भीड़ होती है। मकर सक्रांति के दिन विवाहित महिलाएँ सुहाग के सामान की अदला बदला भी करती है। माना जाता है कि ऐसा करने से उनके पति की उमर लंबी हो जाती है।
मकर सक्रांति के पर्व को फसलों से और किसानों की खुशी से भी जोड़ा जाता है। इस समय पर धान की फसल पककर तैयार हो जाती है और कटाई के लिए त्योहार होती है जिससे किसानों में बहुत ही उत्साह होता है। मकर सक्रांति के दिन सूर्य देव को पानी में तिल डालकर अर्ध्य देने से सारे कष्ट दुर होते है। इस दिन महिलाएँ अपनी सास को वायना भी देती है और एक ही प्रकार की 14 वस्तुओं का दान करती है। मकर सक्रांति के समय पर सूर्य उतरायण होता है यानि की उसका मुख उतर की ओर होता है जिसे देवताओं के लिए सकारात्मक माना जाता है और यह बहुत ही पवित्र काल होता है जिस कारण इसका विशेष महत्व है। मकर सक्रांति के समय पर बहुत से मेले भी लगाए जातो हैं जो कि शिवरात्रि तक चलते है।
हम सबको भी मकर सक्रांति पर कंबल, ऊनी कपड़े आदि का दान करना चाहिए। यह पर्व उत्साह से भरपूर होता है और इस दिन पूरा आसमान पतंगो से भर जाता है। तह पर्व दान पुण्य और पवित्र स्नान का पर्व है। इस दिन लोग घरों में आग जलाकर उसमें मुँगफली रेवड़ी भी डालते है। मकर सक्रांति पर मक्की के दाने भी दान दिए जाते है। मकर सक्रांति लोगों को खुशी, उत्साह और उमंग से भर जाता है।
Makar Sankranti Par Nibandh – Essay on Makar Sankranti in Hindi ( 600 words )
भारत त्योहारों का देश है जहाँ पर सभी त्योहार बड़ी ही धूम धाम से मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है डो हिंदुओं के द्वारा बड़ी खुशी से मनाया जाता है। यह भारत के लगभग सभी राज्यों में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। कोई इसे उतरायन कहता है तो कोई पोंगल तो कोई लोहड़ी के नाम से मनाता है। यह पर्व पौष माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह बाकि त्योहारों की तरह अलग अलग तारीख को नहीं मनाई जाती बल्कि हर साल जनवरी की 14 तारीख को ही मनाई जाती है। इस त्योहार का सीधा संबंध सुर्य से है। यह सूर्य उतरायन के समय मनाया जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिण से उतर दिशा की ओर बढ़ना शुरू हो जाता है इसी वजह से इस त्योहार को उतरायन के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य साल के 12 माह 12 राशियों में घुमता रहता है जिसे संक्रांति कहते है और वह धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है इसी वजह से इस दिन को मकर संक्रांति का नाम दिया गया है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है उन्हें जल अर्पित किया जाता है। लोग पवित्र नदियों में स्थान करने के लिए जाते है और धर्म पुण्य का कार्य करते है। लोग तरह-तरह की रस्मों रिवाज निभाते हैं। अपने से बड़ो को उपहार देकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। मकर संक्रांति के पर्व पर तिलों का और दाल चावल की खिचड़ी का बहुत ही महत्व होता है। लोग इस दिन बहुत ही दान पुण्य करते हैं। लोग मुँगफली, रेबड़ी और फुल्ले को खाते है और दान भी करते है।
इस दिन घरों पर विभिन्न प्रकार के मिष्ठान बनते हैं। लोगों घरों के बाहर आग जलाकर उसमें तिल मुगँफली आदि की आहुति देकर पूजा करते है। सूर्य के दक्षिण से उतर की तरफ जाने की वजह से दिन बड़े होने लगते है और रातें छोटी होने लगती है। माना जाता है कि इय दिन सर्दी कम होने लगती है और गर्मी आनी शुरू हो जाती है। मकर सक्रांति के उत्सव पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। लोग घरों की छतों पर एकत्रित होते हैं और एक दुसरे के समूहे की पतंगे काटते है और खुशियाँ मनाते है। अलग अलग स्तरों पर भी पतंग प्रतियोगिता कराई जाती है। स्कूलों में भी बच्चे पतंग उड़ाकर मकर सक्रांति के त्योहार की खुशी को मनाते है।
मकर संक्रांति लहलाती हुई फसलों का भी पर्व है। इस समय खरीब की फसले कट चुकी होती है और रबी फसले लगाने की तैयारी होती है। खेतों में सरसों की फसल बहुत ही सुनहरा रूप देती है और सब कुछ बहुत ही मनमोहक लगता है। मकर संक्रांति बसंत रितु के आगमन का भी प्रतीक है। इस दिन से बसंत रितु की शुरूआत होती है। लोग इस दिन नृत्य करके भी खुशी को मनाते है। इस दिन अगर सूर्य देव की सही तरीके से पूजा की जाए तो ज्योतिष के हिसाब से कुंडली का सूर्य दोष कम हो जाता है। तांबा सूर्य से संबंधित है।
इस दिन तांबे के लोटे में सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए और हो सके तो जल में कुमकुम और लाल फूल डालकर ही जल अर्पित करे। मकर संक्रांति के दिन किए गए दान का पुण्य सौ गुना होकर मिलता है। इस दिन जरूरतमंदो को तेल,घी, चावल, कच्ची खिचड़ी आदि का दान देना चाहिए। लोग गरीबों में कंबल आदि भी बाँटते है। इस दिन गरीबों को भोजन भी कराना चाहिए। मकर संक्रांति एक बहुत ही पावन त्योहार है और हम सबको मिल जुलकर बड़ी खुशी के साथ इसे मनाना चाहिए और पतंग उड़ाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Makar Sankranti in Hindi – मकर संक्रांति पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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