Essay on Means of Entertainment in Hindi – मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध : दिवस के अवसान के समीप आते ही जीवन-यापन के लिए अनेक अच्छे-बुरे धंधों में उलझा हुआ मानव संध्या के आँचल में बैठकर शारीरिक विश्राम के साथसाथ मानसिक विश्राम की भी इच्छा रखता है, जिससे उसका क्लांत मन प्रफुल्लित हो उठे और शांति अनुभव करे। यही इच्छा मनोरंजनों की पृष्ठभूमि है। यदि मानव को इच्छानुकूल मनोरंजन के साधन उपलब्ध हो जाएँ तो वह अगले दिन नए उत्साह एवं उल्लास से कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। स्वस्थ मन का स्वास्थ्य पर भी सुंदर प्रभाव पड़ता है। बिना मनोरंजन के जीवन एक भार-सा प्रतीत होने लगता है। उसका नियमित कार्य अरुचिकर एवं कष्टदायक बन जाता है। फिर ऐसा भी समय आता है जबकि वह जीवन की अवहेलना करने लगता है और इस आकर्षणहीन भार से छुटकारा पाने का प्रयास करने लगता है। इस दृष्टिकोण से कार्यक्षमता में ढील आ जाती है।
Essay on Means of Entertainment in Hindi – मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध
पराने समय में उदरपूर्ति के लिए अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ता था। इसलिए वह मनोरंजन के साधनों के पीछे नहीं भागता था। परंतु आज के इस अणु युग में मनोरंजन के साधनों की वैसी ही आवश्यकता है जिस प्रकार तन ढकने के लिए कपडे की और पेट भरने के लिए अन्न की। समय परिवर्तनशील है। सभ्यता उनका अनुकरण कर रही है। इस परिवर्तन में भी मनोरंजन के साधन किसी से पीछे नहीं हैं। नित्यप्रति विज्ञान के आविष्कार इनमें चार चाँद लगा रहे हैं। रेडियो, टेलीविज़न और सिनेमा इसके अत्यंत महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनका हम घर बैठे-बैठे ही आनंद उठा सकते हैं। कुछ के लिए थोड़ी देर के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है और कुछ के लिए मित्र-मंडली की खोज करनी पड़ती है।।
हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन आदि खेलों से खिलाड़ी एवं दर्शकों का बहुत सुंदर मनोरंजन होता है। विद्यार्थी वर्ग के लिए उपर्युक्त खेल बहुत ही हितकर हैं। इनके द्वारा मनोरंजन ही नहीं होता अपितु स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। बड़े-बड़े नगरों में तो इस प्रकार के खेलों को देखने के लिए दर्शकगण हजारों की संख्या में पैसा व समय खर्च करके आनंद लूटते हैं। शतरंज, ताश, चोपड, कैरम, साँपसीढ़ी, लूडो आदि खेलों से घर बैठे-बैठे ही मनोरंजन किया जा सकता है और वक्त भी अच्छा कट जाता है। ये खेल प्रायः ऐसे लोगों का मनोरंजन अधिक बढ़ाते हैं जो घर से निकलना पसंद ही नहीं करते या कम निकलते हैं। कभी-कभी इनमें से कुछ खेल दुर्व्यसनों की कोटि में भी आ जाते हैं, जैसे-ताश खेलना। जब इस खेल की आदत अधिक पड़ जाती है तो मनुष्य की प्रवृत्ति जुए की ओर बढ़ जाती है। अपने इच्छित साहित्य का अध्ययन भी घर के मनोरंजन में आ जाता है।
कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें अभीष्ट कार्य को पूर्ण करने में आनंद की प्राप्ति हो जाती है। कुछ उच्च पदाधिकारी संध्या समय अपने कार्य-स्थलों से लौटने के बाद, जलपान कर अपनी कोठी के उद्यान को ही ठीक प्रकार से सँवारने में घंटों व्यतीत कर देते हैं, इससे ही इनका मनोरंजन हो जाता है। कुछ लोगों का मनोरंजन है फोटोग्राफी। गले में कैमरा लटकाया और चल दिए घूमने के लिए। कहीं मन लुभावना आकर्षक-सा दृश्य दिखाई दिया और उन्होंने उसे कैमरे में बंद किया, इसी से मन प्रफुल्लित हो उठा। कुछ लोगों एवं छात्रों का शौक है देश-विदेश की टिकटें एकत्रित करके उनकी सुंदर-सी एलबम बनाना। इस एकत्रीकरण में ही उनका अधिकांश समय बीत जाता है। पुराने लिफ़ाफ़ों पर से टिकटें उतारने में ही उन्हें आनंद आता देशाटन से देश-देशांतरों की कला, संस्कृति, ऐतिहासिक दर्शनीय स्थान उनको ज्ञानवृधि के साथ-साथ एक प्रकार का आनंद भी देते हैं।
प्रातः सायं की सैर भी मनोरंजन का एक सुंदर साधन है। अतः प्रातः एवं संध्या की सैर में प्रकृति नटी अपने उन्मुक्त परिहास से उनके हृदय में आनंद बिखेर देती है और वे उसका सामीप्य पाकर आत्मविभोर हो उठते हैं। पुष्प-कुंज में धीरे-धीरे बहती शीतल-सुगंधित समीर के स्पर्श मात्र से कुछ समय के लिए विषाद के क्षणों को वे भुला बैठते हैं। कहीं कहीं पर प्राकृतिक झरनों का झर झर स्वर उनके हृदय में उल्लास और प्रगति की ओर बढ़ने में संजीवनी का काम देता है।
इसके अतिरिक्त दृश्य-श्रव्य नाटक आदि भी मनोरंजन के सुंदर साधन हैं। आज के इस वैज्ञानिक युग में नाटक और एकांकी करोड़ों जनों का मनोरंजन करते हैं। ये कुछ समय के लिए मानव को दुखों से दूर कर उन्हें आनंद जगत की सैर करा देते हैं।
इसके अतिरिक्त आज के शिक्षित वर्ग के मनोरंजन के साधन हैं उपन्यास; जिनका प्रकाशन आज के युग में आँधियों के आम के समान हो रहा है। यह ठीक है कि इससे मानव का मनोरंजन तो होता है। परंतु कभी-कभी अश्लील रचनाएँ उसे बुरे मार्ग पर भी ले जाती हैं। कुछ धार्मिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति अपना मनोरंजन गीतापाठ करके, रामायण और महाभारत पढ़-सुनकर कर लेते हैं। कुछ का मनोरंजन है मित्रमंडली के साथ खेल-तमाशों में जाना, सैर-सपाटे करना, गप्पें हाँकना, शिकार खेलना आदि। कुछ का मनोरंजन होता है जुआ खेलना, शराब पीना, भाँग रगड़ना, गाँजे का धुआँ छोड़ना आदि दुर्व्यसनों से। इसके विषय में किसी विद्वान ने लिखा है
काव्य-शास्त्र-विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन च मूर्खाणाम् निद्रया कलहेन वा ।
श्लोक का अर्थ है कि बुद्धिमान व्यक्तियों का समय तो सुंदर-सुंदर शास्त्रों के अध्ययन में बीतता है और मूर्खा का समय लड़ने में, सोने में और अनेक प्रकार के दुर्व्यसनों में बीतता है। भारत में भी स्वतंत्रता के पश्चात मनोरंजन के आधुनिक साधनों की बाढ़-सी आ गई है। टेलीविज़न पर घर बैठे, अनेक प्रकार के कार्यक्रम देखकर सहज ही लोग अपना मनोरंजन कर लेते हैं। टेपरिकार्डर पर अपनी रुचि के अनुरूप संगीत, गीत, गजल सुनकर शारीरिक व मानसिक थकान को दूर किया जा सकता है। वीडियो पर अपनी पसंद के चलचित्र देखकर भी मनोरंजन किया जाने लगा है।
इस प्रकार रेडियो, टेलीविज़न, टेपरिकार्डर आदि मनोरंजन के अति आधुनिक साधन हैं। साहित्य, नाटक और विभिन्न प्रकार के खेल कूद भी मनोरंजन के आधुनिक साधन हैं। पर्यटन या भ्रमण भी आधुनिकतम मनोरंजन का साधन है।
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