Get information about Pongal in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Pongal in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200, 300 and 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में पोंगल पर निबंध मिलेगा।
Essay on Pongal in Hindi – पोंगल पर निबंध
Short Essay on Pongal in Hindi – पोंगल पर निबंध ( 100 words )
पोंगल मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला त्योहार है जो कि प्रत्येक वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह पर्व चार दिन तक मनाया जाता है और फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है। पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहते है और इस दिन इंद्रदेव की पूजा की जाती है। दुसरा दिन सूर्य पोंगल है और इस दिन सूर्य देव की पूजा कर नए चावल से बनी खीर जिसे पोंगल कहते है अर्पित की जाती है। तीसरे दिन को मट्टु पोंगल कहते हैं जिस दिन बैलों की पूजा की जाती है। चौथा दिन तिरूवल्लर पोंगल के नाम से जाना जाता है जिस दिन घरों को सजाकर मिठाईयाँ बाँटी जाती है। पोंगल खुशियों का पर्व है।
पोंगल पर निबंध – Short Essay on Pongal in Hindi Language in 200 words
पोंगल तमिलनाडु में मनाया जाने वाला त्योहार है। यह किसानों की खुशी का प्रतीक है क्योंकि इस समय उनकी धान की फसल पूरी तरह से कटाई के लिए तैयार हो चुकी होती है। पोंगल चार दिन तक मनाया जाता है। पोंगल के पहले दिन को भोंगी पोंगल कहते है और इस दिन वर्षा के देवता इंद्र देव की पूजा की जाती है क्योंकि धान के लिए पानी की जरूरत होती है जो उन्हे इंद्रदेव की मर्जी से होने वाली वर्षा से मिलता है। दुसरे दिन सूर्य देव की पूजा कि जाती है और सभी घरों में गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है जिसे पोंगल कहते है।
तीसरे दिन को मट्टु पोंगल कहते है और इस दिन खेती के लिए प्रयोग होने वाले पशुओं की पूजा की जाती है। उन्हें नहलाया जाता है, तिलक लगाया जाता है और अलग अलग प्रकार के व्यंजन खिलाए जाते है। चौथे दिन को तिरूवल्लूर कहते हैं। इस दिन घर को आम और नारियल के पत्तों से सजाया जाता है और रंगोली बनाई जाती है। इस दिन नए वस्त्र पहने जाते है और रिश्तेदारों के यहाँ मिठाई और पोंगल भेजा जाता है। इस दिन किसान बहुत ही खुश दिखाई देते है और बड़े उत्साह से पोंगल के पर्व को मनाते हैं।
Essay on Pongal in Hindi Language – पोंगल पर निबंध ( 300 words )
भारत पर्वों का देश है जहाँ पर पर सभी पर्व हर्ष और उल्लास के साथ बड़ी धुमधाम से मनाए जाते है। यहाँ पर प्रत्येक राज्य के कुछ अपने त्योहार भी है। पोंगल तमिलनाडु का राजकीय त्योहार है जो कि फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस पर्व पर तमिलनाडु के सभी सरकारी संस्थानों में अवकाश रहता है। पोंगल का पर्व चार दिनों तक चलता है। विदेशों में रहने वाले तमिल हिंदुओं के द्वारा यह पर्व वहाँ पर भी मनाया जाता है।
पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है और इस दिन फसल के लिए वर्षा कराने में सहायक इंद्रदेव की पूजा की जाती है और कूड़ा करकट जलाकर बुराईयों का नाश दिखाया जाता है। दुसरे दिन के पोंगल को सूर्य पोंगल कहते हैं जिस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और नई धान की फसल से खीर बनाते हैं जिसे पोंगल कहते हैं और वह सूर्य देव को अर्पित की जाती है।
पोंगल को तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है। इस दिन बैल को नहलाकर उसकै सिंग में तेल लगाकर उसकी पूजा की जाती है क्योंकि बैल कृषि कार्य में सहायक है। बैल के साथ साथ गाय और बछड़ो को भी पूजा की जाती है। चौथे दिन के पोंगल को तिरूवल्लूर पोंगल कहा जाता है और इस दिन घरों को आम के पत्तों से सजाया जाता है। दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है और एक दुसरे को पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएँ दी जाती है। इस दिन लोग नए वस्त्र भी पहनते है और एक दुसरे को मिठाईयाँ देते है। बैलों की प्रसिद्ध लड़ाई भी इसी दिन होती है और रात को सामुहिक भोजन का आयोजन भी किया जाता है। पोंगल का पर्व तमिलनाडु के लोगों को खुशी और उत्साह से भर जाता है।
पोंगल पर निबंध – Short Essay on Pongal in Hindi Language in 400 words
भारत में बहुत से त्योहार मनाए जाते है। कुछ त्योहार राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाते है औक कुछ प्रदेशीय स्तप पर। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई प्राचीन कहानी, संस्कृति आदि छिपी होती है। पर्व हमें हमारे इतिहास और संस्कृति के बारे में बताते हैं। तमिलनाडु में भी एक पर्व बहुत ही खुशी के साथ और धुमधाम से मनाया जाता है जिसे पोंगल कहते हैं। इस पर्व पर सूर्य देव की पूजा कि जाती है और उन्हें जिस पकवान का भोग लगाया जाता है उसे पोंगल कहते हैं।
पोंगल एक फसलीय त्योहार है जो कि जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों के लिए खुशी का मौका होता है क्योंकि इस समय तक उनकी धान की फसल अच्छे से कटाई के लिए तैयार हो जाती है। पोंगल का त्योहार चार दिन तक चलता है। पोंगल के पहले दिन को भोंगी पोंगल के नाम से जाना जाता है और उस दिन वर्षा के देवता इंद्रदेव की पूजा की जाती है क्योंकि धान के लिए जरूरी वर्षा उनकी इच्छा से ही होती है। इस दिन हर घर में चावल का दलिया बनाया जाता है।
पोंगल के दुसरे दिन सुर्य देव की पूजा की जाती है क्योंकि वह भी धान की फसल के लिए उपयोगी है। इस दिन मिट्टी के बर्तन में चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है और सूर्य देवता को भोग लगाया जाता है। रात को सभी मित्रों और रिश्तेदारों को आमंत्रित किया जाता है और एक साथ भोजन किया जाता है। पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहते है। इस दिन खेती के लिए प्रयोग होने वाले पशुओं गाय और बैल आदि की पूजा की जाती है। उन्हे स्नान कराया जाता है, तिलक लगाया जाता है और फूलों की माला डालकर अलग अलग व्यंजन खिलाए जाते है।
पोंगल के चौथे दिन को तिरूवल्लुर कहते है। इस दिन लोग घरों को आम और नारियल के पत्तों से सजाते है। घरों के द्वार पर रंगोली बनाते है। नए वस्त्र पहनते है और रिश्तेदारों के यहा मिठाई और पोंगल भेजते है। तमिलनाडु के सभी सरकारी संस्थानों में इस त्यौहार पर अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार के दौरान खुशियाँ और प्यार बाँटते हैं। यह त्योहार किसानों की खुशी का प्रतीक है और उनकी खुशियाँ फसलों की पैदावार पर निर्भर करती है। सारा वातावरण उमंग की लहर में डूबा होता है। यह त्योहार तमिलनाडु के साथ साथ अमेरिका और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
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