Get information about Guru Gobind Singh in Hindi. Here you will get Paragraph and Short History of Guru Gobind Singh in Hindi Language for students of all Classes in 500 to 600 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में गुरु गोबिन्द सिंह पर निबंध मिलेगा।
History of Guru Gobind Singh in Hindi – गुरु गोबिंद सिंह का इतिहास
History of Guru Gobind Singh in Hindi Language – गुरु गोबिंद सिंह का इतिहास
गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें और अन्तिम गुरु हैं। इनका जन्म 26 दिसम्बर, 1666 को पटना (बिहार) में हुआ। उस समय इनके पिता जी नौवें गुरु तेगबहादुर जी आसाम की यात्रा पर गए हुए थे । आपका बाल्यकाल माता गुजरी की गोद में पटना में व्यतीत हुआ। बचपन में भी उन की रुचि युद्ध के खेलों में थी। जब ये पांच वर्ष के हो गए तो इनके पिता ने इन्हें आनन्दपुर बुला भेजा। यहां पर ।। इन्हें संस्कृत, फ़ारसी और अरबी की शिक्षा दी गई। इनके साथ ही युद्ध कला भी सिखाई गई। वाण-विद्या, घोड़े की सवारी तथा युद्ध के अनेक दांव-पेच सिखाए गए। कुश्ती लड़ना और तलवार चलाना उन्हें अधिक अच्छा लगता था।
इस समय औरंगजेब का राज्य था। वह हिन्दुओं पर बड़ा अत्याचार कर रहा था। उसके अत्याचारों से तंग आकर कश्मीरी ब्राह्मण गुरु तेग बहादुर के पास सुरक्षा के लिए गए। गुरु तेग बहादुर ने सोचा कि किसी महान् पुरुष का बलिदान ही उनकी रक्षा कर सकता है। उस समय पास बैठे बालक गोबिन्द ने अपने पिता से कहा कि उनसे बढ़कर कौन महान् पुरुष हो सकता है । पुत्र के इन शब्दों को सुनकर गुरु तेग बहादुर ने दिल्ली जा कर हिन्दुओं की रक्षा के लिए अपने आपको बलिदान कर दिया।
पिता के बाद गुरु गद्दी गुरु गोबिन्द सिंह को मिली। परन्तु इस गद्दी के साथ उन्हें अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। उनके गुरु बनने पर उनके बहुत से सम्बन्धी दुःखी थे । पहाड़ी राजे भी उनके विरुद्ध थे । मसन्दों ने भी उनके विरुद्ध प्रचार आरम्भ कर दिया। लेकिन गुरु गोबिन्द सिंह अपनी सूझ-बूझ से इन समस्याओं से बड़ी आसानी से निकल गए और मुसलमानों के अत्याचारों का विरोध करने में लग गए। उन्होंने सोचा कि मुसलमानों के अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए सुशिक्षित सेना का होना अनिवार्य है। अतः उन्होंने सन् 1699 में वैसाखी के दिन खालसा पन्थ की स्थापना करके ऐसी सेना का निर्माण किया जो मुसलमानों से टक्कर ले सके।
वे पहले गुरु थे जिन्होंने भक्ति के साथ शक्ति का योग किया। इस प्रकार सन्त के रूप में सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह ने मुसलमानों के विरुद्ध 12 युद्ध लड़े। इन युद्धों में उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। पिता के बलिदान के पश्चात् उनके चारों पुत्रों का बलिदान हुआ। दो पुत्र जीवित ही दीवारों में चिनवा दिए गए और दो युद्ध-भूमि में वीर गति को प्राप्त हुए । इसके पश्चात् गुरु गोबिन्द सिंह दक्षिण में चले गए। यहां पर उनकी भेंट बन्दा बहादुर से हुई । उन्होंने उसे ‘सिंह’ बनाकर पंजाब भेजा। अन्त में सन् 1708 में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
गुरु गोबिन्द सिंह न केवल वीर थे, बल्कि उच्चकोटि के विद्वान भी थे। उन्होंने अनेक ग्रन्थों की रचना भी की । उनका दशम ग्रन्थ और चण्डी चरित्र बहुत प्रसिद्ध हैं। उन्होंने ग्रन्थ साहब नामक धार्मिक पुस्तक को ही गुरु का सम्मान दिया। तभी से ग्रन्थ साहब ‘गुरु ग्रन्थ साहब’ बन कर गुरुओं की तरह भक्तों का मार्ग दर्शन कर रहा है। उन्होंने ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध भी किया और सत्य तथा न्याय पर मर-मिटना सिखाया।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( History of Guru Gobind Singh in Hindi – गुरु गोबिंद सिंह का इतिहास ) को पसंद करेंगे।
More Articles :
Essay on Guru Nanak in Hindi – गुरु नानक देव पर निबंध
Essay on Golden Temple in Hindi – स्वर्ण मंदिर पर निबंध
Essay on Punjabi Culture in Hindi – पंजाबी संस्कृति पर निबंध
Speech on Guru Purnima in Hindi – गुरु पूर्णिमा पर भाषण
Guru Nanak Dev Ji History in Hindi – गुरु नानक देव जी की जीवनी