Here you will get Paragraph and Short Essay on Lohri in Hindi Language/ Lohri Festival in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200, 300, 500 and 700 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में लोहड़ी पर निबंध मिलेगा।
Essay on Lohri in Hindi – लोहड़ी पर निबंध
Short Essay on Lohri in Hindi Language – लोहड़ी पर निबंध ( 100 words )
लोहड़ी उतर भारत में मनाया जाने वाला त्योहार है जो कि विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाता है। लोहड़ी पौष माह की अंतिम रात्रि को मनाई जाती है जो कि हर वर्ष 13 जनवरी को होती है। लोहड़ी के पर्व की शुरूआत सिंधु घाटी से हुई थी। लोहड़ी के पर्व पर लोग आग जलाकर उसकी परिक्रमा करते है और रेवड़ी , मुँगफली आदि की आहुति देते हैं। लोहड़ी पर लोक गीत और लोकनृत्य का आयोजन होता है। इस दिन बेटियों के लिए उपहार भेजे जाते हैं। घरों में तरह तरह के वंजन बनाए जाते हैं और दान पुण्य भी किया जाता है। लोहड़ी का पर्व सभी को एक कर जाता है और सबके दिलों को खुशियों से भर जाता है।
Short Essay on Lohri in Hindi Language – लोहड़ी पर निबंध (200 Words)
लोहड़ी भारतीय संस्कृति का पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। यह प्रतिवर्ष 13 जनवरी को संपूर्ण भारत वर्ष में बड़े हर्षोंल्लास ऐवं मौज – मस्ती के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष मैंने लोहड़ी का त्यौहार अपने मामा जी के घर अमृतसर में मनाया। मैं एक दिन पहले ही अपने मामा जी के घर पहुँच गया था। लोहड़ी वाले दिन सुबह से ही ढोल – नगाड़े बजने प्रारंभ हो गए थे। सबने एक – दूसरे को गले मिलकर इस पावन पर्व की बधाइयाँ दी।
सब लोग एक – दूसरे के घर मिठाइयाँ, रेवड़ी, मूँगफली बांट रहे थे। उस दिन शाम को मोहल्ले के बीच में सबने अपने – अपने घर से लकड़ियाँ लाकर बड़ा ढेर लगा दिया। सभी उसके चारों तरफ़ इकट्ठे हो गए। पूरी श्रद्धा ऐवं आनंद के साथ लकड़ियों में अग्नि प्रज्वलित की गई। तत्पश्चात सबने लोहड़ी की पूजा अर्चना की। सब उसकी परिक्रमा कर रहे थे और गीत गा रहे थे।
पूजा के बाद सबको रेवड़ी, मूँगफली आदि का प्रसाद बांटा गया। इसके बाद ढोल – नगाड़े बजने लगे तो सभी लोग झूम उठे। लड़कियाँ गिददा पाने लगीं तो लड़के भांगड़ा करने लगे। सचमुच यह लोहड़ी का त्यौहार मैंने ख़ूब आनंदपूर्वक मनाया। यह मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगा।
Essay on Lohri in Hindi Language – लोहड़ी पर निबंध ( 300 words )
भारत पर्वों का देश है जहाँ पर सभी त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ धुमधाम से मनाए जाते हैं। लोहड़ी का पर्व उतर भारत का मुख्य त्योहार है जो कि विशेष रूप सो पंजाब में मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व पौष माह की अंतिम रात्रि और मकर संक्राति से पूर्व संध्या के मनाया जाता है। यह हर वर्ष 13 जनवरी को ही मनाया जाता है और इस समय सर्दी अपनी चरम सीमा पर होती है। । लोहड़ी का पर्व खुशियों का पर्व है और इसकी तैयारी 10 दिन पहले ही शुरू कर दी जाती है। लोहड़ी के पर्व का आरंभ सिंधु घाटी सभ्यता से हुई थी।
लोहड़ी के पर्व पर रात के समय सभी लोग आग के सामने बैठते हैं और मुँगफली, रेवड़ी आदि खाते हैं। पंजाब में लोग लोहड़ी के दिन अपने सांस्कृतिक वस्त्र पहनते हैं और गीत आदि गाते हैं। पुरूषों के द्वारा भंगड़ा किया जाता है और महिलाएँ अपना पंजाबी लोक नृत्य गिद्दा करती है। लोहड़ी के पर्व पर बेटियों को उपहार दिए जाते हैं। उनके लिए वस्त्र, मिठाईयाँ, मुँगफली, रेवड़ी आदि भेजी जाती है। लोहड़ी के पर्व पर जिसके घर में नई शादी होती है या पुत्र होता है तो उनके घर से पैसे या मिठाई ली जाती है और लिए हुए पैसों से सामुहिक लोहड़ी मनाई जाती है।
प्रत्येक परिवार लोहड़ी की आग की परिक्रमा करता है। इस दिन लोग बहुत से दान पुण्य भी करते हैं। लोहड़ी के पर्व पर घरों में विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनाए जाते हैं। लोहड़ी की अग्नि के दो चार कोयले घर पर ले जाने की भी प्रथा है। लोहड़े से मिलते जुलते त्योहार दक्षिण में भी अलग अलग नामों से बनाए जाते हैं। लोहड़ी का पर्व अपने साथ बहुत सारी खुशियाँ लेकर आता है और सबके दिलों को मिठास से भर जाता है।
Essay on Lohri in Hindi Language – लोहड़ी पर निबंध ( 500 Words )
भूमिका – हर देश में त्योहारों और पर्वों का बड़ा महत्व होता है। ये पर्व और त्योहार किसी देश या जाति की संस्कृति का चित्र पेश करते हैं। इन त्योहारों को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। लोहड़ी भी हमारे देश का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व सारे देश में बड़ी धूम – धाम से मनाया जाता है। पंजाब में तो इसे एक विशेष ढंग से मनाया जाता है।
समय और स्थान –
यह पर्व माघ महीने की मकर सक्रांति (माघी) से एक दिन पहले मनाया जाता है। सर्दी का मौसम होता है। रात को खुले स्थान पर लोग इकठे होते हैं और गोल दायरे में बैठकर इसे मनाते हैं। बीच में लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर चिन लिया जाता है। फिर ढेर को आग लगा दी जाती है।
मनाने की विधि –
आग के ढेर पर अनेक वस्तुए डाली जाती हैं, उनमें तिल, गुड़ और रेवड़ियाँ प्रधान होती हैं। कुछ लोग गायत्री मन्त्र पढ़कर आहुतियाँ देते हैं। फिर अग्नि की परिक्रमा करते हैं। सब लोग मिलकर रेवड़ियाँ खाते हैं और ढोल ढमाका होता हैं , भंगड़े डाले जाते हैं। जिनके घर बच्चे ने जन्म लिया होता है, वहाँ लोहड़ी बड़े उत्साह से मनाई जाती है।
सती – दहन से सम्बन्ध –
ऐसा भी कहा जाता है कि शंकर जी की पत्नी सती अपने पिता से नाराज़ होकर आग में कूद पड़ी और भस्म हो गई। शंकर जी को क्रोध आया। प्रजापति ने क्षमा मांग ली। तब शंकर जी ने क्षमा कर दिया दक्ष ने शंकर जी को विदा करते समय बहुत कुछ भेंट किया।
सुन्दरी – मुन्दरी की कथा –
ऐसा सुना जाता है की मुग़ल काल में किसी ब्राह्मण की दो लड़कियाँ थीं जिनका नाम सुन्दरी और मुन्दरी था। उन दोनो का रिश्ता किन्हीं ब्राह्मण युवकों से कर दिया गया था। कोई मुग़ल शासक उनसे विवाह करना चाहता था। ब्राह्मण युवक डर गये। उन्होंने उन लड़कीयों से विवाह करने से इनकार कर दिया। तब दुल्ला भट्टी नामक डाकू से किसी एकान्त प्रदेश में पिता बनकर उन दोनों लड़कियों का विवाह उन्हीं नोजवान युवक ब्राह्मणों से किया और शगुन में शक्कर दी।
लोहड़ी देवी से सम्बन्ध –
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लोहड़ी देवी ने एक क्रूर दैत्य को जलाकर भस्म कर दिया था। उसकी याद में यह दिन मनाया जाता है। मनाने के अन्य कारण – लोहड़ी का सम्बन्ध कृषि से भी है। इस दिन किसान आग के पास बैठ कर छः महीने का हिसाब – किताब करते हैं।
क्योंकि इन दिनों नई फ़सल घर आई होती है। इसका सम्बन्ध शीत ऋतु से भी है। अमीर – ग़रीब सब लोग तिल, चावल, रेवड़ियाँ आदि खाकर सर्दी मिटाते हैं और ऊँच – नीच का भेद – भाव मिट जाता है। इसका सम्बन्ध धर्म से भी है। इस दिन लोग हवन करके देवताओं को प्रसन्न करते हैं और जलती हुई आग की शिखा ऊपर उठने का संदेश देती है।
उपसंहार – लोहड़ी का त्योहार हमें एकता का सन्देश देता है। धनी अथवा निर्धन मिल – बैठकर एकता को बढ़ाना भी इस पर्व का उद्देश्य है।
Long Essay on Lohri in Hindi Language – लोहड़ी पर निबंध (700 words)
लोहड़ी पंजाब का एक खास त्योहार है, लेकिन यह प्रांतीय बाधाओं को पार कर गया है और हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली में लोकप्रियता हासिल की है। लोहड़ी एक सर्दियों का त्योहार है और हर साल 13 जनवरी को आता है। यह पंजाबी संस्कृति में निहित है और हमें अवशोषित पंजाब के दिनों की याद दिलाता है। यह एक मौसमी त्योहार है जो हमें सर्दियों के उपहारों का आनंद लेने के लिए बोली लगा रहा है।
यहां तक कि लोहड़ी के कुछ दिन पहले, छोटे लड़के और लड़कियों को छोटे-छोटे समूहों में दरवाजे से दरवाजे पर जाने के लिए पैसे के रूप में लोहरि उपहार मांगने, गोबर के केक और अग्नि-लकड़ी के रूप में देखा जाता है। वे लोहड़ी दिन पर जश्न मनाने के लिए इन चीजों को जमा कर देते हैं। लोहड़ी दिवस पर, बच्चों को सड़कों में सुबह की शुरुआत में चलते देखा जाना चाहिए। वे हर दरवाजे पर जाते हैं और सुन्दर, मुंद्री और दुल्ला भट्टी के गीत को गाते हैं।
एक लड़का मुखड़ा गाता है और अन्य बस कोरस में जवाब देते हैं। यह वाकई एक अजीब गीत है जो एक अजीब तरीके से गाया जाता है। लड़कियों के बेवी एक अलग गाना गाने के बारे में जाते हैं। ये सभी गीत नए विवाहित जोड़े और नए जन्मजात पुत्रों की प्रशंसा में हैं बदले में, इन गायकों को सिक्कों के उपहार, उबला हुआ या छिद्रित मक्का और रीरिस और चिदवास प्राप्त होते हैं।
शाम मजेदार और उत्साह से चिह्नित है चावल और सरसों का सामान हर घर में पकाया जाता है। सड़क के किनारों पर खुशहाली और खुशहाल और सुखी घरों में हल्का प्रकाश डाला जाता है। दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। महिलाएं गायन और नृत्य करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। बाजारों को स्वाद से सजाया गया है रीरिस, चिदव और पेर्ग मूंगफली की मांग बहुत ज्यादा है। रात के खाने में मक्के की रोटी, सरसो का साग, गज्जक, तिल, पॉपकॉर्न, गुड, मूंगफली आदि खाते हैं।
गांवों में, लोहारि त्योहारों पर पीने के लिए काफी आम है। किसान अमीर मक्का, धान, कपास और गन्ना फसलों के कारण खुश हैं। गन्ना के रस से कई तैयारियां बनाई गई हैं ड्रम को पीटा जाता है और भांगड़ा नृत्य किया जाता है। शक्कर के टुकड़ों को भस्म में गरम किया जाता है और जब वे धरती पर मारते हैं तो वे बम की तरह विस्फोट करते हैं। गर्म शर्करा नरम होता है और यह माना जाता है कि यह पुरानी खांसी और ठंड का इलाज करता है। लोहड़ी खुशी और दावत का एक त्योहार है। यह लोगों को खाने, पीने और आनंद लेने के लिए कहता है।
लोहड़ी की उत्पत्ति के बारे में बहुत कुछ पता नहीं है। फिर भी, यह बहुत उत्साह और उत्साह के साथ पंजाब में मनाया जाता है। माघी लोहड़ी की अगली कड़ी है। यह बहुत ही अगले दिन आता है। हरियाणा में, माघी को लोहड़ी से अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह शक्रति या माघ के बिक्रमी माह का पहला दिन है। लोहड़ी की शाम को पकाया जाने वाला चावल दलिया माघी सुबह को वितरित और खाया जाता है। यह मज़ेदार और उत्साह के अंत का प्रतीक है और लोगों को नए सिरे से शक्ति और जीवन शक्ति के साथ सही काम में अपने काम के लिए निर्धारित किया गया है। एक पंजाबी पंजाबी नहीं है, अगर वह लोहड़ी नहीं मनाते हैं। विदेशों में रहने वाले पंजाब भी लोहड़ी को समान उत्साह और उत्साह के साथ मनाते हैं।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Lohri in Hindi – लोहड़ी पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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