Get information about Shivaji Maharaj in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Shivaji Maharaj History in Hindi Language for School Students and Kids of all Classes in 300 and 600 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में शिवाजी महाराज की जीवनी मिलेगा।
Shivaji Maharaj History in Hindi – शिवाजी महाराज की जीवनी
Shivaji Maharaj History in Hindi Language – शिवाजी महाराज की जीवनी ( 300 words )
शिवाजी महाराज बहुत ही पराक्रमी और वीर योद्धा थे जो कि मराठा सामराज्य के संस्थापक थे। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग जो कि पुणे में स्थित है वहाँ हुआ था। इनका पूरा नाम शिवाजी शहाजी भोंसले थे। इनके पिता का नाम शहाजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई शहाजी भोंसले था। शिवाजी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और मेधावी था। उन्होंने अध्यातम ग्यान में बहुत ही दिलचस्पी थी। वह रामायण और महाभारत आदि की कथाएँ बहुत ही रूचि से पढ़ते थे। 10 साल की उमर में ही उनका विवाह कर दिया गया था। उनके चरित्र पर उनके माता पिता का बहुत प्रभाव पड़ा था।
स्वतंत्र शासक- शिवाजी महाराज विदेशी शासन की क्रुरत् पर हमेशा ही बोखला जाते थे। उनके मन में स्वाधीनता की भावना बचपन से ही थी। उन्होंने 1674 में पुरंधर समधौते में उनसे छीने गए राज्यों को फिर से प्राप्त कर लिया था। शिवाजी महाराज को छत्रपति शिवाजी के नाम से भी जाना जाता था। महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिंदु संगठन की स्थापना के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया था और उन्हें मराठा समराज्य का संस्थापक घोषित किया गया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन एक स्वतंत्र शासक की तरह गुजारी थी।
शिवाजी को नौसेना का जनक भी कहा जाता है। शिवाजी को औरंगजेब ने एक बार बंधी भी बना लिया था लेकिन वह वहाँ से छुट गए थे। उन्होंने सभी जाति के लोगों को एकत्रित कर जाति के भेदभाव को खत्म किया था और बहुत से किलों पर हमला प्रारंभ किया था। उन्होंने पुणे के कार्य की देखरेख की और स्वयं की मुद्रा भी तैयार की थी। शिवाजी साहसी चरित्र वाले व्यक्ति थे। अप्रैल, 1690 में उनका निधन हो गया था। उन्होंने स्वतंत्र शासक के रूप में अपना सिक्का चलवाया था और उन्हें आज भी बड़े आदर के साथ याद किया जाता है।
Shivaji Maharaj History in Hindi Language – शिवाजी महाराज की जीवनी ( 600 words )
भारत सदियों से दासता की जंजीरों में जकड़ा रहा। पहले यह मुसलमान शासकों का दास रहा और बाद में अंग्रेज़ों का। जब से भारत दास बना तभी से उसे स्वतन्त्र करवाने के प्रयत्न होते रहे। मुसलमानों से भारत को स्वतन्त्र करवाने वालों में दक्षिण में शिवाजी मरहठा के प्रयत्नों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
शिवाजी का जन्म 1627 ई० में पुणे के समीप शिवनेर नामक स्थान पर हुआ। उनके पिता शाह जी भौंसला और माता जीजा बाई थी । शिवाजी जो कुछ भी बने उसका श्रेय उनकी माता जी को जाता है। उनकी माता जी धार्मिक विचारों वाली थीं। वे अपने पुत्र को रामायण और महाभारत की कथाएं सुनाती रहती थीं और साथ ही उन शूर-वीरों की कहानियां भी सुनाती थीं जिन्होंने न्याय के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ।
उनकी माता जी के प्रभाव के कारण ही शिवाजी बहादुर और योद्धा बन पाए। जब शिवाजी बड़े हुए तो उन्होंने युद्ध-विद्या सीखी। घुड़सवारी करना, धनुष-बाण चलाना और अन्य शस्त्रों का प्रयोग करना सीखा । शिवाजी पर उनकी माता का अट्ट प्रभाव तो था ही, लेकिन स्वामी रामदास के प्रभाव ने भी उन्हें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया। तभी से उन्होंने अपने देश को मुसलमानों की दासता से छुड़वाने का प्रयत्न करना आरम्भ कर दिया। । उन्होंने 19 वर्ष की अवस्था में ही तोरण का किला जीत कर अपनी वीरता का प्रमाण दिया । यह किला बीजापुर के राजा के अधीन था। बीजापुर के राजा ने अफ़ज़ल खां को शिवाजी का मुकावला करने के लिए भेजा। उसने शिवाजी के साथ मित्रता का नाटक रच कर उन्हें मारना चाहा। लेकिन चतुर
शिवाजी उसकी चाल को तोड़ गए। अतः उन्होंने अफ़ज़ल खां को छाती से लगाते ही मार दिया। अब शिवाजी ने औरंगजेब के अधीन प्रदेशों पर आक्रमण कर दिया। औरंगजेब ने शाइस्ता खां को शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा, परन्तु वह भी असफल रहा और जान बचा कर भाग गया । शिवाजी को बन्दी बनाने के लिए राजा जयसिंह को भेजा गया। अन्ततः शिवाजी को बन्दी बनाकर गिरे में औरंगजेब के दरबार में लाया गया। यहां पर शिवाजी को सम्मान नहीं । दिया गया और कैद कर लिया। कुछ दिनों के बाद शिवाजी मिठाई के टोकरों में बैठ कर औरंगजेब के बन्धन से भाग कर फिर पुणे आ गए। यहां 1674 में उनका राजतिलक हुआ और छः वर्ष राज्य करने के पश्चात् 1680 में। वे स्वर्ग सिधार गए।
राज्य-प्रबन्ध के लिए उन्होंने आठ मन्त्रियों की एक सभा बनाई थी। ग्रामों का प्रबन्ध पंचायतें करती थीं। राज्य-प्रबन्ध के लिए वे प्रजा से कर लिया करते थे। चौथ नामक एक टैक्स उन प्रदेशों से लिया जाता था जिनकी सुरक्षा का जिम्मा शिवाजी लेते थे। सरदेशमुखी टैक्स भी प्रजा से लिया जाता था। शिवाजी के युद्ध की विशेषता यह थी कि वे गुरिल्ला युद्ध करते थे। वे पहाड़ी इलाकों की अच्छी जानकारी रखते थे। शत्रु-प्रदेशों में लूटमार करके वे पहाड़ों में जा छिपते थे। यही उनकी विजय का बड़ा कारण था।
शिवाजी बड़े ऊंचे चरित्रवान् थे। वे शत्रु की स्त्री का भी मान करते थे। एक बार इनका सेनापति किसी मुस्लिम सेनापति की सुन्दर स्त्री को बन्दी बना कर शिवाजी के पास ले आया। जब शिवाजी को इसका पता लगा तो वे बहुत क्रुद्ध हुए। उन्होंने सेनापति को इसके लिए खूब डांटा और उस महिला को सम्मान के साथ लौटा दिया। वे सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते थे। अपने शत्रु मुसलमानों की धार्मिक पुस्तक का उन्होंने कभी अपमान नहीं किया।
संक्षेप में वे ऐसे महान् व्यक्ति थे जिन्होंने बड़ी थोड़ी-सी शक्ति से मुसलमानों को नाकों चने चबा दिए।
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