यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में श्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay On Lal Bahadur Shastri in Hindi Language for students of all Classes in 150, 350 and 450 words.
Essay On Lal Bahadur Shastri in Hindi – श्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध
Essay On Lal Bahadur Shastri in Hindi – श्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध ( 150 words )
लाल बहादुर शास्त्री जी एक महान नेता और अच्छे इंसान थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उतर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता का नाम शारदा श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी देवी था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने कौ कारण यह स्कूल नदी से तैरकर जाया करते थे। वह पढ़ने में बहुत ही होशियार थे। 27 मई, 1964 को नेहरू जी की मृत्यु के बाद इन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया था। यह स्वतंत्र भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री थे। इन्होंने देश के लिए बहुत से कल्याणकारी कार्य किए।
इन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया जिससे भारतीयों का मनोबल बढ़ा। उन्होंने ने ही रेलवे में थर्ड क्लास की शुरूआत की थी जिससे कि आम आदमी भी आसानी से रेल यात्रा कर सके। 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में उनका निधन हो गया था और उनकी मृत्यु के बाद उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। शास्त्री जी को उनकी देश भक्ति और ईमानदारी के लिए हमेशा याद किया जाता है।
Essay On Lal Bahadur Shastri in Hindi – श्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध ( 350 words )
भारत के द्वितीय प्रधानमन्त्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को बनारस की पावन धरती पर एक निर्धन परिवार में हुआ। आपकी आयु डेढ़ वर्ष की थी कि आपको पिता की स्नेहमयी गोद से वंचित होना पड़ा। छोटी आयु में आर्थिक संकट आपको सताता था। नदी तैर कर पार करके पैदल पढ़ने के लिए जाया करते थे। स्कूल की पढ़ाई के समय आप पर राम-कृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द का विशेष प्रभाव पड़ा। विद्यापीठ में अनुकूल वातावरण पाकर उनकी प्रांजल प्रतिभा को प्रस्फुटित होने का अवसर मिला।
स्थानीय हरिश्चन्द्र शिक्षा संस्था में, आप का सम्पर्क भारत रत्न डा० भगवान दास, स्वर्गीय आचार्य नरेन्द्र देव और डा० सम्पूर्णचन्द से हुआ। गांधी जी की प्रेरणा से 1921 में शिक्षा छोड़कर असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गए। जेल से छूटने पर इन्होंने काशी विद्यापीठ में अपनी शिक्षा पुनः आरम्भ कर दी और वहीं से ‘शास्त्री’ की डिग्री प्राप्त की। लाल बहादुर शास्त्री यशस्वी कर्मशील प्राणी थे। 1926 में प्यूपल सर्विस सोसाईटी में शामिल हो गए। सात वर्ष इलाहाबाद नगरपालिका के प्रधान रहे। 1930 से 1936 तक इलाहाबाद जिला कांग्रेस के प्रधान तथा महामन्त्री के पदों पर कार्य करते रहे। 1952 के चुनाव में इन्हें भारत का रेल मन्त्री बनाया गया। रेल दुर्घटना से आत्मा इतनी दुःखी हुई.कि इस पावन आत्मा ने मन्त्री पद से त्यागपत्र दे। दिया। 1960 में आपको गृहमन्त्री बनाया गया। कामराज योजना के अन्तर्गत इन्होंने त्यागपत्र दे दिया।
27 मई, 1964 को भारत के प्रथम प्रधान मन्त्री पं० जवाहर लाल नेहरू के स्वर्गवास होने के पश्चात् सर्वसम्मति से लाल बहादुर शास्त्री जी को 9 जून, 1964 को भारत का प्रधानमन्त्री बनाया गया। 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत फ आक्रमण किया तो लाल बहादुर शास्त्री ने इस आक्रमण का डटकर मुकाबला किया और पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा। ताशकन्द समझौता करने के लिए वे रूस गए और वहाँ पर ही 11 जनवरी, 1966 को इस प्रिय नेता का देहावसान हो गया। शास्त्री जी के हृदय की गति ही नहीं रुकी सारे देश की गति रुक गई। हमें ताशकन्द वार्ता की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। चीन और पाक को परास्त करने वाली मौत के हाथों परास्त हो गया।
Essay On Lal Bahadur Shastri in Hindi – श्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध ( 450 words )
यह शासन की लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति है कि यहां एक गरीब व्यक्ति देश में सर्वोच्च निर्वाचित कार्यालय प्राप्त करने की उम्मीद कर सकता है| ऐसा एक नाम जो कि देश के अन्य सभी नेताओं में सबसे ज्यादा चमकदार है, वह है श्री लाल बहादुर शास्त्री| वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधान मंत्री थे|
बेनारस के एक मूल, शास्त्री एक बेहद गरीब परिवार से थे। उनके पिता, जो एक स्कूल शिक्षक थे, निधन हो गया जब शास्त्री दो साल का था। इसलिए उनके परिवार ने युवा लाल बहादुर को स्कूल में भेजने का शायद ही कोई लेना-देना नहीं कर सकता था। और यह बहुत मुश्किल से निपटने के लिए था कि लाल बहादुर स्कूल में और काशी विद्यापापि में अपनी पढ़ाई पूरी करने में सक्षम था। एक ऐसी घटना जिसने पिछले कुछ वर्षों में संघर्ष और संघर्ष का पर्याय बन गया है, जब वह गंगा के पार तैरना पड़ा क्योंकि वह नौका को दो पैसे नहीं दे सकते थे। अपनी पढ़ाई पूरी करने के उनके दृढ़ संकल्प के बावजूद, शास्त्री स्वतंत्रता से दूर नहीं रह सका- आंदोलन जो देश को सफ़ल कर रहा था। वह जल्द ही आजादी के संघर्ष में योगदान करने के लिए स्कूल छोड़ दिया।
उन्हें आठ बार गिरफ्तार किया गया था और जेल में काफी समय बिताया था। हालांकि, जैसे ही उन्हें रिहा कर दिया गया था, वह बेनारस में काशी विद्यापापि में शामिल हो गया और जल्द ही उन्हें ‘शास्त्री’ की डिग्री मिली। वह जल्द ही अपने नाम का एक अभिन्न अंग बन गया वह एक मृदुभाषी, शांतिप्रिय और बेहद ईमानदार और ईमानदार व्यक्ति थे। सम्मान और उच्चतर कार्यालय उनके पास आये। वह जल्द ही उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। शास्त्री देर जवाहरलाल नेहरू के एक योग्य उत्तराधिकारी थे, जिन्हें उन्होंने अपने समर्पण, ईमानदारी और ईमानदारी से प्रभावित किया था। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शास्त्री ने अपने आदर्श नेतृत्व गुण प्रदर्शित किए। इससे उन्हें जनता के नायक बना दिया।
11 जनवरी 1966 को ताशकंद में इस असामयिक मृत्यु के साथ, जहां उन्होंने शांति संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए गए थे न केवल भारतीय लेकिन मानवता भी एक करुणामय इंसान और उच्च नैतिक मानकों के नेता हार गए। वह हमेशा भारतीय गौरव में योगदान के लिए और उनके नारा “जय जवान जय किसान” के लिए याद रहेगा।
वह भारत के सचे पुत्र और जनता के एक आदमी थे।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay On Lal Bahadur Shastri in Hindi – श्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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