Get information about Spring Season in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay on Spring Season in Hindi Language/ Basant Ritu Essay in Hindi Language for students of all Classes in 150 – 200, 350 and 600 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में बसन्त ऋतु पर निबंध मिलेगा।
Essay on Spring Season in Hindi – बसन्त ऋतु पर निबंध
Essay on Spring Season in Hindi – बसन्त ऋतु पर निबंध ( 150 – 200 words )
वसंत रितु वंसत रितु सबका पसंदीदा मौसम है क्योंकि इस समय न तो गर्मी होती है और न ही सर्दी। वसंत रितु का आगमन सर्दी के बाद होता है और यह मार्च में आती है। यह तीन महीने तक रहती है मार्च अप्रैल और जुन। इस रितु में हर तरफ हरे भरे पेड़ और खिलते हुए फूल दिखाई देते हैं। इस मौसम में प्रकृति की सौंदर्यता निखर कर आती है। यह वह मौसम है जब हम हल्के कपड़ा पहनना शुरू कर देते हैं और आसानी से किसी भी समय कहीं भी आ जा सकते हैं। यह मौसम पृथ्वी का जागृत कर उसको नया जीवन प्रदान करता हैं।
इस मौसम को त्योहारों का मौसम भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हॉली, वैशाखी जैसे बहुत से पर्व आते हैं। इस मौसम में बिमारियाँ भी ज्यादा फैलती हैं क्योंकि यह सर्दियों के खत्म होने पर आता है और गर्मी का आगमन होता है। सभी मैदानों में घास होती है। पूरी पृथ्वी हरी भरी दिखती है। शाम को मौसम और भी ज्यादा सुहाना लगता है।
Short Essay on Spring Season in Hindi Language – बसन्त ऋतु पर निबंध (350 Words)
भूमिका : भारत एक ऐसा देश है जहाँ वर्ष में छः ऋतुएँ – बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर आती हैं। ये ऋतुएँ लगभग दो-दो महीने रहती हैं। इन ऋतुओं का मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। बसन्त ऋतु क्योंकि सबसे अच्छी और मनमोहक है, अतः इसे ‘ऋतुराज’ भी कहते हैं। इसके सौंदर्य की महिमा वर्णनातीत है।
परिवर्तन : इस ऋतु के आने से बहुत परिवर्तन होता है। इससे पूर्व शिशिर ने जड़ चेतन को अत्यधिक तंग किया था। फागुन मास के आते ही सुहावना मौसम आने लगा। शीतल मन्द, सुगन्ध वायु चलने लगी। शिशिर ऋतु ने पेड़ों को बिना पत्तों के कर दिया था। अब नए पत्ते एवं नई कोंपलें निकलने लगीं। वनों में हरियाली छा गई। नए रंग बिरंगे फूल वन उपवन की शोभा बढ़ाने लगे। कहीं गुलाब, गेंदा और सूरजमुखी खिले होते हैं तो कहीं चम्पा, चमेली,केतकी आदि फूल अपनी सुगन्ध बिखेर रहे होते हैं।
खेतों में सरसों के पीले फूलों को देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति देवी ने अपने प्रेमी बसन्त के स्वागत के लिए पीली साड़ी ओढ़ी हो। यह सब देखकर मन-मयूर नाच उठता है। वनों में कोयले कूकने लगती हैं। आमों की डालियों पर भंवरे गुंजार करने लगते हैं। इस समय प्रकृति मधुरता, आनन्द और उल्लास से भर जाती है। ऐसे अवसर पर बाहर घूमने को मन करता है। इस बसन्त ऋतु का पशुपक्षी और दूसरे जीव स्वागत करते हैं। शरीर में नव रक्त का संचार होता है। किसान, व्यापारी एवं छात्र इस ऋतु का अमित लाभ उठाते हैं और अथक परिश्रम करते हैं।
त्योहार : इस बसन्त ऋतु में ‘बसन्त पंचमी’ और ‘होली’ के त्योहार मनाए जाते हैं। ‘बसन्त पंचमी के अवसर पर मेले लगते हैं। होली के अवसर पर अबाल-वृद्ध प्रसन्न दिखाई देते हैं। चारों ओर रंग एवं हास्य विनोद का वातावरण देखने को मिलता है।
उपसंहार : बसन्त के स्वागत के लिए प्रकृति सुन्दरी अपना सर्वोत्कृष्ट रूप संवारती है। जीवन में नवीनता एवं स्फूर्ति आती है। ऐसे अवसर पर लोगों को आलस्य त्याग कर प्रकृति का आनन्द लेना चाहिए और परिश्रम करना चाहिए। हमें ऐसे सुन्दर अवसर पर अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना चाहिए।
Long Essay on Spring Season in Hindi Language – बसन्त ऋतु पर निबंध (600 Words)
सारे संसार में केवल मात्र भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें हर प्रकार की ऋतुएं आती हैं। भारत में ये ऋतएं छ: प्रकार की हैं। इनमें बसन्त ऋतु सबसे अच्छी एवं सुहावनी ऋतु है। इसलिए इसे ऋतुओं का राजा–ऋतुराज कहा जाता है। यह ऋतु चेत्र और वैसाख के महीनों में आती है। इस ऋतु के आने पर सर्दी का अन्त हो जाता है। कहावत भी है ‘आया बसन्त पाला उड़न्त। वास्तव में इस ऋतु में मौसम बहुत ही सुहावना होता है। न गर्मी होती है, न सर्दी। चारों ओर सहावना वातावरण होता है।
इस ऋत का स्वागत ‘बसन्त पंचमी’ के रूप में किया जाता है। वास्तव में ‘बसंत पंचमी’ बसन्त ऋतु में नहीं आती। यह तो माघ के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी को होती है । इस दिन के पश्चात् बसन्त का आगमन होता है। इस अवसर पर धार्मिक दीवान सजाए जाते हैं। तीर्थ-स्थानों पर स्नान करने की भी प्रथा है। उत्तर भारत में हिन्दू-सिख सभी इसे बड़ी प्रसन्नता से मनाते हैं। विद्या और कला की देवी सरस्वती का जन्म इसी दिन माना जाता है। इसीलिए लोग इस दिन सरस्वती की पूजा करते हैं। पुराने ज़माने में इस दिन विद्वानों का सम्मेलन, कवि-सम्मेलन, दीक्षांत समारोह आदि होते थे।
इस ऋतु के आने से पहले पतझड़ का राज्य होता है। पतझड़ में पेड़पौधों और लताओं आदि के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आ जाते हैं। इन नए पत्तों के साथ रंग-बिरंगे फूल भी चारों ओर खिल जाते हैं। ऐसा लगता है मानों प्रकृति रूपी नायिका भी अपने आप को सजा कर इस सुहावने वातावरण का आनन्द लेने के लिए निकल पड़ी है। ये ऋतु फूलों और फलों की ऋतु है। जिधर भी जाओ प्रकृति की सुन्दरता आंखों को लुभाती है। फूलों की सुगन्ध से लदी मन्द-मन्द वायु सब के मनों को मुग्ध करती है। आम के वृक्ष सुगन्धित बौर से लद जाते हैं। इन पर कोयलें अपनी मीठी कूह-कूह से सबकों आकृष्ट करती हैं। खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल आंखों को ताज़गी देते हैं।
यह उत्सव अधिकतर उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस अवसर पर पतंगें उड़ाने की होड़ लग जाती है। आकाश में चीलों की तरह पतंगें उड़ती दिखाई देती हैं। पतंगें कटती हैं तो उन पतंगों को लूटने के लिए छोटे-छोटे बच्चे जिस जोश से उनके पीछे भागते हैं, देखते ही बनता है । तेज़ डोर के कारण कई बच्चों के तो हाथ भी कट जाते हैं। इस त्यौहार को मनाने के लिए कई स्थलों पर मेले भी लगते हैं जहां बच्चों के मनोरंजन के कई साधन होते हैं। इस उत्सव पर नर-नारी पीली पगड़ियां, पीली टोपियां, पीली चुन्नियां पहने दिखाई देते हैं। पीले रंग का हलुआ और पीले रंग के चावल बनाए जाते हैं। यह पीला रंग प्रकृति के सौन्दर्य और खुशी का प्रतीक है।
लेकिन दुःख की बात है कि आज इस मेले के सम्बन्ध में लोगों की श्रद्धा कम होती जा रही है। पीले वस्त्र पहनने का रिवाज तो समाप्त-सा हो गया है। अब लोगों में वह चाव नहीं रहा जो पहले हुआ करता था। इस उत्सव का सम्बन्ध बाल हकीकत राय से भी है। मौलवी उसे मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश कर रहे थे। किन्तु बाल हकीकत राय ने अपने प्राण दे दिए, परन्तु मुस्लिम धर्म अपनाना स्वीकार न किया। हमें बाल हकीकत राय से प्रेरणा लेकर अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए सर्वस्व बलिदान करने को तैयार रहना चाहिए।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Short Essay on Spring Season in Hindi Language – बसन्त ऋतु पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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