Speech on Bhagat Singh in Hindi – शहीद भगत सिंह पर भाषण

Here you will get short Speech on Bhagat Singh in Hindi Language for students of all Classes in 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में शहीद भगत सिंह पर भाषण मिलेगा।

Speech on Bhagat Singh in Hindi – शहीद भगत सिंह पर भाषण

Speech on Bhagat Singh in Hindi – शहीद भगत सिंह पर भाषण ( 500 words )

भूमिका- भारत को वीरों की भुमि कहा गया है। यहाँ पर बहुत से वीर पैदा हुए है जिन्होने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया है। उन सब में सबसे कम उमर में देश के लिए लड़ाई लड़ने वाले शहीद भगत सिंह थे। शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 में पंजाब के लयालपुर जिले के बँगा गाँव के एक देशभक्त परिवार में ही हुआ था। देशभक्ती की भावना उनमें वही से आई थी। शहीद भगत सिंह की माता का नाम विद्यावती कौर था और पिता का नाम सरदार किसन सिंह था। शहीद भगत सिंह की दादी ने उनका नाम भागो वाला रखा था जिसका मतलब है अच्छे भाग्य वाला। बाद में वो भगत सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके परिवार में सभी क्रांतिकारी थे। भगत सिंह के जन्म के बाद ही वो जेल से रिहा हुए थे। देश प्रेम तो शहीद भगत सिंह के खुन में ही था।

शहीद भगत सिंह की शिक्षा और करांतिकारी गतिविधियाँ-

शहीद भगत सिंह की नौंवी तक की पढ़ाई गाँव में ही हुई। उसके बाद उन्हें आगे पढ़ने के लिए लाहौर के डी.ए.वी. स्कूल में भेज दिया गया। वहाँ शहीद भगत सिंह नें पढ़ाई के साथ साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया जैसे विदेशी कपड़ों की होली आदि 1923 में उन्होनें एफ.ए.की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उनके घर में उनके विवाह की तैयारी की जाने लगी जिसके कारण वह घर को छोड़कर कानपुर चले गए।

13 अप्रैल,1919 को जलियावाले बाग के हत्याकांड ने भगत सिंह को अंदर से झकझोर कर रख दिया था। वो वहाँ से मिट्टी लाए और देश को आजाद कराने की कसम खाई। इसी कसम के चलते वो कानपुर गए। वहाँ उनकी पहचान छुपाने के लिए प्रैस में नौकरी पर लगा दिया और वही से उन्होने क्रांतिकारी गतिविधियों को चालु रखा। वहाँ उन्होने चंदर शेखर आजाद के साथ मिलकर हिंदुस्तान सोस्लिस्ट रिप्बलिकन एशोसियेशन को स्थापित किया। इसमें उन लोगों को शामिल किया गया जो अहिंसा को नहीं मानते थे। उन्होनें अंग्रेज अधिकारी सांड्रस को राजगुरू के साथ मिलकर मारा था। इसमें उनकी सहायता चंद्र शेखर आजाद ने भी की थी।

8 अप्रैल,1929 को उन्होने दिल्ली में स्थित बरिटिश भारत की सैंटरल असैंबली में बम डाला ताकि अंगरेजों को डरा सके। इन्होने और इनके दोनों साथी राजगुरू और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद लाहौर षड्यंतर में तीनों को 23 मार्च,1931 को रात को फाँसी दी गई।

शहीद भगत सिंह का मुख्य उद्धेश्य-

शहीद भगत सिंह का मानना यह था कि उनके मरने से ही लोगों मे आजादी के लिए करांति आएगी। इसिलिए तो फाँसी की सजा मिलने के बाद भी उन्होंने माफी नामा नहीं लिखा।

निष्कर्ष- शहीद भगत सिंह का नाम देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है। उन्होने 14 साल की उमर में ही पढ़ाई के साथ साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में भी भाग लिया। उन्होनें जेल में लिखा था कि कमजोर वर्ग का शोषण ब्रिटिश के साथ साथ हिंदुस्तानी भी कर रहे है। उनका नाम हिंदुस्तान में बड़े ही गर्व से लिया जाता है। देश की खातिर उन्होने अपनी जवानी और पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।

हम आशा करते हैं कि आप इस भाषण ( Speech on Bhagat Singh in Hindi – शहीद भगत सिंह पर भाषण ) को पसंद करेंगे।

Leave a Comment