Here you will get Short Speech on Indira Gandhi in Hindi Language for students of all Classes in 300 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में इंदिरा गांधी पर भाषण मिलेगा।
Speech on Indira Gandhi in Hindi – इंदिरा गांधी पर भाषण
Speech on Indira Gandhi in Hindi – इंदिरा गांधी पर भाषण ( 300 words )
इंदिरा गाँधी प्रभावशाली व्यक्तितव की महिला थी। वह भारत की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थी। उनका जन्म 19 नवंबर, 1917 को उतर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू और माता का नाम कमला नेहरू था। उनके परिवार की स्वतंत्रता से जुड़ी गतिविधियों पर बहुत प्रभाव पड़ा था।
शिक्षा-
इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा इलाहबाद से पूरी की थी और उसके बाद इन्होंने शांतिनिकेतन में रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विद्या भारती स्कूल में प्रवेश लिया। वहाँ पर रविंद्रनाथ टैगोर ने उन्हें प्रियदर्शनी नाम दिया और तभी से वह इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी के नाम से जाने जानी लगी। इंदिरा गाँधी की शादी फिरोज गाँधी से हुई थी। इंदिरा ने अपनी आगे की पढ़ाई विदेश में ऑक्सफार्ड युनिवर्स्टी से की और 1941 में वह भारत लौट आई।
राजनीति-
भारत लौटने के बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गई। 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद वह राज्य सभा की सदस्य चुनी गई। उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रीमंडल में सुचना और प्रसारण मंत्री के रूप मेम कार्य किया। शास्त्री जी की मृत्यु के बाद इंदिरा को प्रधानमंत्री बनाया गया। वह 1966-1977 तक प्रधानमंत्री रही। उसके बाद 1978 में वह चुनाव हार गई और कठिन मेहनत के बाद 1980 में फिर से सत्ता में वापिस आ गई थी।
मृत्यु-
1984 में पंजाब में चल रहे अलगाववादियों के साथ चल रहे द्वंद के दौरान इंदिरा के ही दोनों अंगरक्षकों ने उन्हें गोलियाँ मार दी थी। 31 अक्टूबर 1984 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
निष्कर्ष-
इंदिरा दुरदर्शीता रखती थी और उनके पास निर्णय लेने का कौशल था। इंदिरा को आज भी उनके अच्छे कार्यों के लिए याद किया जाता है। इंदिरा को लौह स्त्री के नाम से भी जाना जाता है। इनकी राजनीति की प्रशंसा विदेश के लोग भी करते थे। यह दृढ़ संकल्प वाली महिला थी।
Short Speech on Indira Gandhi in Hindi Language – इंदिरा गांधी पर भाषण ( 500 words )
इंदिरा गाँधी बहुत ही सुझ बुझ और दृढ़ संकल्प वाले चरित्र की गुणवान महिला थी। वह एक बहुत ही चतुर राजनेत्री भी थी। उनका जन्म 19 नवंबर 1917 में उतर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था। वह एक ऐसे परिवार में जन्मी थी जिसका हर व्यक्ति राजनीति से जुड़ा हुआ था और इसका प्रभाव इंदिरा पर भी पड़ा। उनके पिता का नाम जवाहर लाल नेहरू और माता का नाम कमला नेहरू था। बचपन में इंदिरा प्रियदर्शनी के नाम से जानी जाती थी।
इलाहाबाद में उनका घर आंनद भवन हमेशा कांग्रेस पार्टी की कई राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था। 10 साल की उमर में ही इंदिरा ने अपनी उमर के बच्चों के साथ मिलकर वानरी सेना का निर्माण किया जिसने गाँधी जी के असहयोह आंदोलन में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी। इंदिरा की पढाई इलाहाबाद के फॉर्ड और रविंद्रनाथ के स्कूल शांति निकेतन से ही हुई थी। 1942 में इंदिरा की शादी एक पारसी युवक फिरोज गाँधी से हुई। शादी के 18 साल बाद उनके पति की मृत्यु हो गई। इंदिरा के दो बेटे थे राजीव गाँधी और संजय गाँधी।
भारत के आजाद होने के बाद 1959 में वह सभी की सहमति से ही कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में चुन ली गई। 1966 में जब लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन हुआ तब इंदिरा को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया गया। 1967 में कांग्रेस के चुनाव जीतने पर वह पुनः प्रधानमंत्री चुनी गई। वह एक बहुत ही कौशल नारी थी। उनके कामों के लिए वह सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध थी।
वह 1966 से लेकर अपने पुरे जीवन काल तक प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त रही थी। सिर्फ 1977 से 1980 तक कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और वह राजनीति से बाहर रही थी। तीन साल के प्रयास के बाद वह दोबारा सत्ता में आई। उन्हे देश में प्रथम हरी क्रांति के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। वह बहुत ही दृढ़ संकल्प वाली और चतुर महिला थी। उनका पूरा घर देश के लिए समर्पित था और उसका प्रभाव इनके जीवन चरित्र में भी देखा जा सकता है।
उनकी सत्ता के दौरान हुए पाकिस्तानी आक्रमण का उन्होनें बहुत ही सही ढंग से जवाब दिया था। इन्होनें बड़ी ही चतुराई से पाकिस्ताम का सबसे अहम हिस्सा बंगलादेश को उससे अलग कर दिया था। इंदिरा ने ही बैंको का पंजीकरण कराया था। 1971 में सत्ता में वापिस आने के लिए इन्होंने गरीबी हटाओं का नारा अपनाया था। उस दौरान उनके बेटे संजय गाँधी को जेल भी हुई थी जिसके चलते इन्हें लोगों से सहानुभूति प्राप्त हुई।
1984 में पंजाब में स्थिति बहुत ही खराब थी। वहाँ पर आतंकी हमले बढ़ते ही जा रहे थे। इंदिरा के कहने पर हुई पुलिस कार्यवाही में 3000 लोग मारे गए थे। जिसके चलते इनके खुद के सुरक्षा कर्मी बहुत क्रोधित हुए। इनके उन दो ब्लु स्टार्स सतवंत सिंह और बेबंत सिंह ने इंधिरा कौ गोलियों से छलनी कर दिया। 31 अक्तूबर 1984 को इंदिरा का देहांत हो गया। पंजाब से उन्हें राज घाट लाया गया और 3 नवंबर को उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस तरह उस दिन पुरे विश्व ने सबसे कौशल राजनेत्री को हमेशा के लिए ऱो दिया। इंदिरा को लौह स्त्री के नाम से भी पुकारा जाता था।
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