Here you will get Long and Short Speech on Swami Vivekananda in Hindi Language for students of all Classes in 250 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में स्वामी विवेकानंद पर भाषण मिलेगा।
Speech on Swami Vivekananda in Hindi – स्वामी विवेकानंद पर भाषण
Short Speech on Swami Vivekananda in Hindi – स्वामी विवेकानंद पर भाषण ( 250 words )
स्वामी विवेकानंद भारत के महासंतो में से एक है जिनका जन्म 12 जनवरी ,1863 में कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत और माता का नाम भुवनैश्वरी देवी था। स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र दत था और उनके पिता एक नामी वकील थे। नरेंद्र को पढ़ाई लिखाई में बहुत दिलचस्पी थी और वह हमेशा भगवान के बारे में जानने के लिए भी उत्सुक रहते थे। उन्होनें कोलकता विशविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने सामाजिक ग्यान, इतिहास, साहित्य आदि का अध्ययन किया।
पिता के देहांत के बाद घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर हो गई थी और घर की सारी जिम्मेदारी नरेंद्र के कंधो पर आ गई थी। उसी दौरान उनकी मुलाकात रामकृष्ण से हुई जिनके आध्यातमिक ग्यान से प्रभावित होकर नरेंद्र ने उन्हें अपना गुरू बना लिया। गुरू ने अपनी साधना का तेज नरेंदर् को दिया और तब से ही वो विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए।
स्वामी विवेकानंद ने 1893 में विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया और हिंदु धर्म का नेतृत्व किया। वह बड़ी कठिनाईयों का सामना कर शिकागो शहर पहुँते थे जहाँ पर हिंदु धर्म पर उनके भाषण से सभी लोग बहुत ही प्रभावित हुए। स्वामी विवेकानंद हिंदु धर्म और भारतीय संस्कृति को पुरे विश्व में फैलाने में सफल रहे। उन्होंने युरोप और अमेरिका के अन्य शहरों में भी भाषण दिए। भारत लौट आने के बाद उन्होनें रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जिसके दौरान वो बिमार पड़ गए। 1902 में 39 साल की कम उमर में उनका निधन हो गया। वह एक महान हिंदु साधु और राजनीतिक संत थे। उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Speech on Swami Vivekananda in Hindi – स्वामी विवेकानंद पर भाषण ( 500 words )
स्वामी विवेकानंद भारत के एक महान हिंदु साधु और देश भक्त संत थे। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकता में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। विश्वनाथ कोलकता हाआ कॉर्ट के नामी वकील थे। स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र दत था। वो बहुत ही मेधावी बालक थे। उन्हें पढ़ाई के साथ खेल कुद ,भारतीय संस्कृति आदि की भी बहुत ही जानकारी थी। उन्हें भगवान और धर्म में हमेशा आशंका रहती थी लेकिन वो भगवान के बारे में जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। उन्होने कोलकता विशविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने साहित्य, इतिहास, सामाजिक ग्यान, कला आदि विषयों का अध्ययन किया।
साथ ही उन्होनें पश्चिमी भारत की संस्कृति, युरोपीयन इतिहास आदि का भी अध्ययन किया। हर साल भारत में 12 जनवरी को उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। अध्यातमिक ग्यान की जानकारी पाने के लिए वो कोलकता से बाहर निकले। उस दौरान उनके पिता का देहांत हो गया और पूरे घर परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधो पर आ गई थी। कमजोर आर्थिक स्थिति के दौरान उनकी मुलाकात गुरू रामकृष्ण से हुई जिनके आध्यातमिक ग्यान से प्रभावित होकर नरेंद्र ने उन्हें अपना गुरू बना लिया। कमजोर आर्थिक स्थिति के दैरान जब नरेंद्र ने उनसे मार्ग दिखाने को कहा तो उन्होनें नरेंद्र को काली माँ के मंदिर जाकर उनसे सहायता माँगने को कहा पर नरेंद्र ने धन माँगने की बजाय बुद्धि और आध्यातमिक ग्यान माँगा। नरेंद्र रामकृष्ण के सच्चे अनुयायी बन गए और उनकी बातों का अनुसरण करने लगे।
एक दिन रामकृष्ण ने अपनी साधना से नरेंद्र को तेज प्रदान किया और तब से वह स्वामी विवेकानंद के नाम से लोगों में प्रसिद्ध हुए। गुरू रामकृष्ण के देहांत के बाद स्वामी विवेकानंद कोलकता से वरादनगर में रहने लगे। वहाँ पर संस्कृति, धर्म आदि का अध्ययन कर वह भारत की यात्रा पर निकल पड़े। 1893 में उनके शिष्यों के आग्रह करने पर उन्होनें विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदु धर्म का नेतृत्व करा। बहुत सी कठिनाईयों को पार कर वह अमेरिका के शिकागो शहर में पहुँचे। विश्व धर्म सम्मेलन में उन्हे बोलने का आखिरी मौका दिया गया लेकिन उनका भाषण बहुत ही प्रभावशाली था। वह अपने भाषण के माध्यम से पूरे विश्व में हिंदु धर्म को प्रसिद्ध करने में सफल रहे। उसके बाद वो युरोप और अमेरिका भी गए और वहाँ पर भी उन्होंने हिंदु धर्म पर बहुत से भाषण दिए और लोगों को भारतीय संस्कृति से अवगत कराया।
भारत में तो उनकी ख्याति पहले ही फैल चुकी थी। उनके विदेश से वापिस आने पर उनका स्वागत बहुत ही अच्छे तरीके से किया गया। विदेश में भी उनके बहुत सारे अनुयायी बन गए थे। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की जो कि लोगों को धार्मिक ग्यान और सामाजिक कार्यों में सहायता प्रदान करता है। विवेकानंद मिशन की स्थापना में इतने व्यस्त हो गए कि वों गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। जुन 1902 में 39 साल की कम उमर में ही उनका देहांत हो गया। आज भी भारत में जब भी महासंत की बात होती है तो स्वामी विवेकानंद जी को ही याद किया जाता है।
हम आशा करते हैं कि आप इस भाषण ( Speech on Swami Vivekananda in Hindi – स्वामी विवेकानंद पर भाषण ) को पसंद करेंगे।
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