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Essay on Diwali in Hindi – दिवाली पर निबंध
Short Essay on Diwali in Hindi Language – दिवाली पर निबंध ( 150 – 200 words)
दिवाली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ही भगवान श्री राम चौदह साल का बनवास काटकर आयोद्धा वापिस लौटे थे और लोगों ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया था। दिवाली रोशनी की त्योहार है। लोग दुकानों और घरों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाते हैं। इस दिन दिपक जलाए जाते हैं और इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग मिठाईयाँ बाँटते है और नए कपड़े पहनते हैं। रात को गणेश लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तरह तरह के व्यंजन बनाए जाते है। दिवाली पर लोग बम पटाखे भी जलाते हैं जिससे कि वातावरण दुषित होता है। कुछ लोग इस दिन जुआ भी खेलते हैं जो कि शर्मनाक है। दिवाली जैसे पवित्र त्योहार तो हमें बड़ी खुशी और धुमधाम के साथ मनाना चाहिए। मिट्टी के बने दीपक ही खरीदने चाहिए ताकि गरीब लोग भी अपनी दिवाली अच्छे से मना सके।
Essay on Diwali in Hindi – दिवाली पर निबंध (350 Words)
दीवाली हिन्दुओं का परम पवित्र और महान् त्योहार है। दीवाली का अर्थ है-दीपों की माला। दीवाली शब्द दीपावली का ही बिगड़ कर बना रूप है। भारतवर्ष तो त्योहारों और मेलों का देश है। यह त्योहार राष्ट्रीय त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। क्योंकि यह सभी को सांझा त्योहार है। यह त्योहार दशहरे के 20 दिन बाद कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
कहते हैं कि जब श्री रामचन्द्र जी अपना चौदह वर्ष का बनवास पूर्ण करके अयोध्या वापस आए तो लोगों ने अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया था। उस दिन की शोभा ही न्यारी थी। उस दिन की स्मृति को बनाए रखने के लिए आज तक प्रति वर्ष लोग कार्तिक अमावस्या की रात को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। स्वामी दयानन्द जी की मृत्यु भी इसी दिन हुई थी। इस त्योहार को मनाने की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है। लोग मकानों, दुकानों में सफेदी करवाते हैं। इस प्रकार सारे घरों व दुकानों की सफाई हो। जाती है। छोटे-मोटे कीटाणुओं का नाश हो जाता है। इस दिन दुकानें और मकान इतनी सुन्दरता से सजाए जाते हैं कि देखते ही बनता है। बाजारों की शोभा तो न्यारी ही होती है। दीवाली से कई दिन पहले हलवाई मिठाइयां बनानी आरम्भ कर देते हैं।
रात को मकानों की छत पर दीप जलाए जाते हैं। आजकल तो बिजली की रोशनी से मकान सजाए जाते हैं। तरह-तरह के पटाखे चलाए जाते हैं। इस दिन व्यापारी लोग अपने पिछले हिसाब-किताब को ठीक करके नया हिसाब शुरू करते हैं। रात्रि को लोग घर में लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं और मिठाई बांटते हैं। वैसे दीवाली प्रत्येक नगर में मनाई जाती है, लेकिन अमृतसर की दीवाली देखने योग्य होती है। हज़ारों लोग दूर-दूर से अमृतसर की दीवाली देखने आते हैं। हरिमन्दिर साहिब की शोभा देखने योग्य होती है। दीपकों की माला की परछाई सरोवर में देखकर ऐसा मालूम होता है जैसे आकाश के तारे दीपमाला देखने धरती पर उतर आए हों। इस अवसर पर कई मित्रों तथा बन्धुओं का परस्पर मेल भी हो जाता है।
Diwali Par Nibandh – Essay on Diwali in Hindi – दिवाली पर निबंध (400 Words)
दीपावली का अर्थ है दीप+अवली =दीपकों की पंक्ति। इस उत्सव को रात के समय घर-घर में दीपकों की पंक्तियां, मोमबत्तियां, बिजली के छोटे छोटे बल्ब जला कर मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का सबसे पवित्र त्यौहार है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है । इस उत्सव को भारत की लगभग सभी जातियां मनाती हैं।
इस उत्सव का महत्त्व कई कारणों से है। सबसे बड़ा कारण तो यह है। कि भगवान रामचन्द्र जी अपना 14 वर्ष का वनवास काट कर इस दिन अयोध्या लौटे। इस दिन लोगों ने उनका स्वागत किया और घर-घर में खुशियाँ मनाई। घरों में दीपमाला की इस उत्सव के साथ कुछ अन्य कारण भी जुड़े हुए हैं जिनमें से कुछ ये हैं: कहते हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर ने इसी दिन राजसूय यज्ञ की समाप्ति भी की। सिक्ख धर्म में भी इस दिन का बड़ा महत्त्व है । छठे गुरु इस दिन ग्वालियर की जेल से मुक्त हुए थे। उस खुशी में अमृतसर में यह दिन बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। कहते हैं कि समुद्र का मन्थन जब किया गया था तो इसी दिन लक्ष्मी देवी भी प्रकट हुई थी। यही कारण है कि इस दिन हर घर में लक्ष्मी की पूजा की जाती है। घरों में सफ़ाई की जाती है, सारी रात घर में प्रकाश रहता है और लक्ष्मी के स्वागत के लिए दरवाजे खुले रखे जाते हैं।
यह उत्सव आर्य समाजियों और जैनियों के लिए भी पवित्र है। इस दिन समाज सुधारक स्वामी दयानन्द जी सरस्वती, सांस्कृतिक नेता स्वामी राम तीर्थ और जैनियों के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी को मुक्ति प्राप्त हुई थी। यह उत्सव ऋषि उत्सव भी है। शरद् की सुहावनी ऋतु में यह उत्सव आता है। कपास आदि की फ़सल पक कर घर आती है। इस प्रकार वर्ष भर के परिश्रम के बाद घर आई ‘अन्न-धन’ रूपी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।
भारतवर्ष के प्रत्येक भाग में यह उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव पर असंख्य कण्डीलें, मोमबत्तियां, रंगीन बल्ब, आदि जलाए जाते हैं। बच्चे कई प्रकार के पटाख जलाकर, फुलझड़ियां, आतिशबाजियां, अनार आदि अनेक प्रकार की वस्तुओं से मनोरंजन करते हैं। इनसे कई बार दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। कुछ बच्चों के हाथ आदि जल जाते हैं। कई बार दुकानों आदि को आग भी लग जाती है। इस अवसर पर इलवाइयों की चांदी होती है। लोग न केवल घरों के लिए मिठाइयां खरीदते हैं, बल्कि मित्रों, सम्बन्धियों आदि को भी इसकी भेंट करते हैं।
इस उत्सव के साथ कुछ दोष भी पनप उठे हैं। सब से बड़ा दोष तो लक्ष्मी प्राप्ति का गलत ढंग है। बहुत से लोग इस दिन दिल खोलकर जुआ खेलते हैं। इससे कइयों का तो दिवाला ही निकल जाता है और कई बिना प्रयास के ही काफ़ी धन प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन यह एक बुरी आदत है और इरो त्यागना चाहिए।
Essay on Diwali in Hindi – दिवाली पर निबंध (450 words)
भूमिका – दीवाली, दशहरा, रक्षा बन्धन, ईद, बड़ा दिन, होली आदि भारत के प्रसिद्ध त्योहार हैं। दीवाली भारत का प्रमुख त्योहार है। इस रात चारों ओर आलोक (प्रकाश) होता है। इसलिए इसे आलोक-पर्व दीवाली कहते हैं। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। वह काली अन्धेरी रात रोशनी की रात में बदल जाती है। उस दिन पूरे भारत में छुट्टी होती है। स्कूल, कालिज, दफ्तर आदि बन्द होते हैं।
क्यों मनाया जाता है – कहते हैं कि दीवाली के दिन मर्यादा पुरुषोतम श्री राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्या के लोगों ने घी के दीप जलाकर उनका स्वागत किया। हम भी हर वर्ष दीप जलाते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। इसी दिन योगीराज श्री कृष्ण ने पूतना का वध किया था। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द ने भी इसी दिन निर्वाण पाया था। धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ की समाप्ति इस दिन हुई थी। सिक्खों के छटे गुरु को इस दिन कारागार से मुक्ति मिली थी। इसी खुशी में हर वर्ष अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर रोशनी से जगमगा उठता है।
कैसे मनाया जाता है – यह त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति पर आता है। अतः दीवाली से कुछ दिन पूर्व लोग मकानों एवं दुकानों की सफ़ाई एवं रंग रोगन कराते हैं। बाजारों में अपार भीड़ होती है। लोग नए बस्न ऍवं नए बर्तन खरीदते हैं। नए अनाज एवं नए गुड़ के आ जाने से भारत के गाँवों में खुशहाली छा जाती है। मित्रों एवं सम्बन्धियों को शुभकामनाएँ एवं मिठाई भेजी जाती है। लोग आपसी भेद भाव भूल कर प्रेम और एकता का प्रयास करते हैं। दीवाली की रात चारों ओर प्रकाश होता है। दीपावली दो शब्दों के मेल से बना है- दीप+आवली। इसका अर्थ है दीपों की पंक्ति। चारों ओर दीपों एवं मोमबतियों की पंक्तियाँ देखने को मिलती है। बिजली की जगमगाहट वातावरण को और आकर्षित कर देती है। बच्चे पटाखे एवं फुलझड़ियाँ जलाते हैं। लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ग़रीबों में मिठाई वस्त्र आदि बाँटे जाते हैं।
दोष – इस त्योहार को मनाने में कुछ दोष आ गए हैं। कई लोग इस रात शराब पीते हैं और जुआ खेलते हैं। यह बुरी बात है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ बच्चों की असावधानी के कारण इस अवसर पर कई दूकानों एवं मकानों में आग लग जाती है। बच्चों को सावधानी से आतिशबाजी का प्रयोग करना चाहिए।
उपसंहार – त्योहार मानव जीवन में प्रेम, उल्लास और आनन्द की सृष्टि करते हैं। वे हमारी सभ्यता और संस्कृति को बनाए रखते हैं। इससे जीवन में नई शक्ति एवं स्फूर्ति आती है। अतः हमें अपने इस आलोक पर्व को पूर्ण उत्साह से मनाना चाहिए। हमें इस दिन महापुरुषों के जीवन पर विचार करके उनकी शिक्षा को अपनाना चाहिए। इस रात हमें निर्धनों एवं अपाहिजों की सहायता अवश्य करनी चाहिए।
Diwali Essay in Hindi Language – Essay on Diwali in Hindi (500 Words)
भारत को मेलों और त्योहारों का देश कहा जाता है। दिवाली हिन्दू का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या नया चंद्रमा दिवस पर होता है। यह हिंदू चंद्र महीने के अश्विन के अंत में और कार्तिक के महीने की शुरुआत में अंधेरी रात को होता है। कोई व्यक्ति जो हिंदू चंद्र कैलेंडर का अनुसरण करता है, वह आसानी से दिवाली की तारीख को निर्धारित कर सकता है। दीपावली एक लोक उन्मुख त्योहार है, जब प्रतिभावान भूल जाते हैं और परिवार और मित्र निकटता की दुनिया का आनंद लेने और स्थापित करने के लिए मिलते हैं। जैसा कि भीतर चमक से चमकता है, अज्ञान हमें अंधकार कर देता है! इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसोज्जित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। यह त्योहार भारत भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं। मंदिर नवविवाहित दुल्हनों की तरह दिखते हैं। वे अच्छे से सजाए जाते है। आम तौर पर यह अक्टूबर के अंत में या नवंबर की शुरुआत में आता है। चौदह वर्ष के वनवास के बाद राम के लौटने के सम्मान में दिवाली उत्सव मनाया जाता है। भारतीयो का विश्वास है कि सत्यकी सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। यह पांच दिनों का त्योहार है। पहला दिन धन तेरस कहलाता है, दूसरा दिन नारक चतुर्दशी , तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन लक्ष्मी-पूजा कहलाता है, चौथा दिन पडवा/वर्धापतिपाड़ा कहलाता है, पाँचवा दिवस भैया दूज होता है। यह त्योहार अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आता है। बच्चों की स्कूल की छुट्टियों से इस त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है। संध्या के समय घर-आंगन और बाजार जगमगा उठते हैं।
कई दिनों तक इस रंगीन त्योहार के लिए घरों और दुकानों को साफ कर दिया जाता है। कहा जाता है कि दीपावली मनाने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर स्थायी रूप से सदगृहस्थों के घर निवास करती हैं। बाजार में मिट्टी के दीपों, खिलौनों, खील-बताशों और मिठाई की दुकानों पर भीड़ होती है। मिठाई विक्रेताओं त्योहार से पहले मिठाई तैयार करना शुरू करते हैं। व्यापारिक व्यक्ति इस दिन अपने नए खाते खोलता है तथा लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।यह एक साथ आने के लिए एक विशेष अवसर है। दिवाली की रात को, लोग नए कपड़े या अपने सर्वश्रेष्ठ संगठन में कपड़े पहनते हैं, लोग विशेष व्यंजन और मिठाई तैयार करते हैं, घर-घर में सुन्दर रंगोली बनाई जाती है, अपने घर के भीतर और बाहर दीये (दीपक और मोमबत्तियां) को प्रकाश में रखते हैं| रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है।
पूजा के बाद आतिशबाजीयो का पालन किया जाता है और करीबी दोस्तों के बीच उपहारों का आदान प्रदान किया जाता है। पटाखे और आकाश को उज्ज्वल कर देते हैं । पटाखे जलाते समय सुरक्षा उपायों को लेना महत्वपूर्ण है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं । कुछ मूर्ख लोग इस दिन जुआ खेलते हैं। यह एक बुरा व्यवहार है। इसे रोका जाना चाहिए। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।
Diwali Par Nibandh – Essay on Diwali in Hindi – दिवाली पर निबंध (600 Words)
दिवाली को रोशनी के त्योहारों के रूप में जाना जाता है, दीवाली भारत के चार सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह बरसात के मौसम के तुरंत बाद अमावस्या दिवस पर कार्तिक के महीने में मनाया जाता है। जब आम आदमी की भाषा में इसका अनुवाद किया जाता है तो इसका अर्थ है कि ये त्यौहार अक्टूबर और नवंबर के बीच में पड़ता है। वर्ष के इस समय चावल की फसल लगभग तैयार है। इसलिए एक किसान का घर समृद्धि का एक सामान्य रूप पहनता है। ग्रामीण लोक अपने घरों को साफ करते हैं और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का चित्रण करते हुए दीवार पर सुंदर प्रस्तुतियां बनाते हैं, जो इस त्योहार के मुख्य देवता हैं। जबकि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग, अपने घरों को साफ और सफेद धोते हैं। वे छोटी मरम्मत भी करते हैं।
इस त्यौहार की जड़ें भगवान राम की श्रद्धेय कहानी में झूठ हैं ये कहा जाता है कि चौदह वर्ष के लिए निर्वासन में रहने के बाद भगवान अयोध्या में अपने घर लौटे। उस अवधि के दौरान उन्होंने राक्षस रावण, लंका के राजा को हराया। अयोध्या के लोग ने मिथरी दीपक के साथ शहर को रोशन करके राम की वापसी पर खुशी प्रकट की। न सिर्फ पौराणिक कथाओं, इस त्योहार का एक चिकित्सा महत्व भी है। बारिश के मौसम के बाद दिवाली जल्द ही आती है। वर्षा इसके साथ कई जल पैदा हुई बीमारियां जैसे मलेरिया, दस्त, गैस्ट्रोएन्टेरिटिस, आदि लाती है। बारिश के बाद लोग अपने घरों की मरम्मत करते हैं, और वर्षा जल से जमा हुई गंदगी को साफ करते हैं। यह सफाई मच्छरों और अन्य कीटों को दूर करती है, इस प्रकार घरों को किसी भी बीमारी से मुक्त बनाने और जो लोग बीमार हो गए थे, वे अच्छी तरह से फिर से बनने में आनन्दित होते हैं।
इस दिन महिलाएं मिठाई और अन्य विशेष भोजन बनाती हैं पुरुष बाहर जाते हैं और पटाखे खरीदते हैं, चीनी के बने खिलौने और सूखा धान, छोटे-मिट्टी के दीपक, कपास, विल्स, फूल और तेल। वे भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की छोटी मिट्टी की प्रतिमा भी खरीदते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं- और मकान मिट्टी के लैंप से अनजान हैं। परिवारों ने सजाया-मूर्तियों के चारों ओर गठिया और एक-दूसरे के लिए अच्छी तरह से प्रार्थना करते हुए प्रार्थना की। वे तो प्रकाश पटाखे, एक दूसरे की इच्छा करते हैं और मिठाई वितरित करते हैं शहर का बाजार बिजली की रोशनी से सजाया गया है। व्यापारियों ने इस दिन नई खाता पुस्तकें खोल दीं और पुराने खातों को बंद कर दिया।
वे देवी लक्ष्मी के सामने विशेष प्रार्थना करते हैं, जिन्हें धन और समृद्धि की देवी भी माना जाता है। हालांकि जुए की केवल एक बुरा कस्टम, इस अन्यथा अनूठी त्योहार को मारता है। लोगों का मानना है कि इस दिन जुआ करके धन की देवी खुश होगी। लेकिन यह हमेशा ऐसा नहीं होता है और बहुत से लोग पैसे की काफी राशि खो देते हैं और गरीब बन जाते हैं। इस दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं। यह भारत के मस्तक पर कलंक है। ऐसे पवित्र ऐतिहासिक त्योहार पर ऐसा कार्य शोभा नहीं देता। भगवान् करे कि यह त्योहार हर वर्ष देश और जाति के लिए समृद्धि तथा सुख शान्ति का संदेश लाए। जाति को नव-जीवन प्रदान करता रहे। हर कोई उत्सुकता से दिवाली का इंतजार करता है|
Essay on Diwali in Hindi – Essay on Diwali in Hindi for Class 6 (700 Words)
हिंदुओं के सभी पर्यों में दीवाली की महत्ता, व्यापकता और लोकप्रियता किसी भी पर्व को प्राप्त नहीं है। कार्तिक की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व असंख्य कंडीलों, मोमबत्तियों, रंगीन बल्बों, दीपमालाओं से अमावस्या के गहन अंधकार को शरद् पूर्णिमा में परिवर्तित कर देता है। इनके प्रकाश के सम्मुख गगन के असंख्य तारे लज्जित हो जाते हैं। दीपों के इस पर्व को किसी-न-किसी रूप में भारत की लगभग सभी जातियाँ मनाती हैं। इस पर्व के साथ अनेक पौराणिक एवं दंतकथाएँ भी जुड़ी हुई हैं। सुना जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ की समाप्ति इसी दिन हुई थी। कुछ लोगों का कथन है कि इसी दिन श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के बाद भाई और पत्नी सहित अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने अयोध्या नगरी को दीपों से दुलहन के समान सजाया था।
घर-घर मिष्ठान बाँटे थे। तभी से परंपरारूप में यह पर्व आनंद, उल्लास और विजय का प्रतीक बन गया; क्योंकि इसकी पृष्ठभूमि में राम-विजय की पवित्र गाथा है। अतः यह पर्व श्रीराम के लोकरक्षक स्वरूप का स्मरण कराता हुआ हमें उन्हीं के समान आदर्श पति, आदर्श भाई और आदर्श मित्र बनने की प्रेरणा देता है। पौराणिक कथाओं के आधार पर सागर-मंथन होने पर आज ही के दिन लक्ष्मी का आविर्भाव हुआ था। इस देवी की अर्चना करते हुए यह पर्व आर्थिक संपन्नता का प्रतीक बन गया। व्यापारीगण इस दिन को अत्यंत । पवित्र मानते हैं। अपने गत वर्ष का हिसाब-किताब साफ़ करके नए बही-खातों का आरंभ कर देते हैं। कई जगह लोग रात्रि-भर लक्ष्मी के आगमन और स्वागत में घरों के द्वार खुले रखते हैं।
आज के युग में पौराणिक तत्त्वों के अतिरिक्त इस पर्व के साथ कुछ आधुनिक कारण भी जुड़कर इसके महत्त्व को बढ़ा रहे हैं। आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण भी आज ही के दिन हुआ था। अतः इस मत के अनुयायी इस दिवस को बहुत ही पवित्र मानते हैं। इनके साथ ही जैनियों के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी को भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ था। अतः सारा जैन समाज इस उपलक्ष्य में इस पर्व का मनाता है।
दीवाली का महत्त्व धार्मिक एवं सांस्कृतिक सीमाओं तक ही सीमित नहीं, अपितु इसका आर्थिक महत्त्व भी है। हमारा देश कृषिप्रधान है। हमारी आशाएँ कृषि पर ही निर्भर हैं। इस पर्व से पूर्व पावस काल में स्थान-स्थान पर कीचड़ एवं गंदगी हो जाती है। इन दिनों सफ़ाई होकर घरों में नए अनाज का भंडार हो जाता है और गुड़ के रूप में मिठाई भी कृषकों के घरों में पहुँच जाती है।
घरों व दुकानों में नए सिरे से लिपाई-पुताई कराई जाती है, इससे गंदगी और मच्छरों का साम्राज्य समाप्त हो जाता है। मलेरिया आदि रोग फैलने से रुक जाते हैं। हर स्थान पर स्वच्छता-ही-स्वच्छता दिखाई देती है। बाजार जगमगाने लगते हैं और सुगंधित पदार्थों से घर महक उठते हैं। इस प्रकार से यह पर्व स्वच्छता और स्वास्थ्य का जनपर्व भी बन गया है। रात्रि के समय दीपमालाओं से सारा नगर जगमगा उठता है। मिठाइयों और खिलौनों की दुकानों पर अपार भीड़ दीखती है। इस पर्व पर लोग शुभकामनाओं के साथ अपने इष्टमित्रों और संबंधियों के पास मिठाई आदि भिजवाते हैं और आपसी मनमुटाव को भुलाकर जीवन को अधिकाधिक प्रेममय बनाने का प्रयास किया जाता है।
दीवाली में इतने गुण होते हुए भी कुछ लोगों ने इसके साथ एक अवगुण भी जोड़ दिया है। इस दिन लोग जुआ खेलते हैं। इनका विश्वास है कि इस दिन जीत होने पर वर्ष-भर तक लक्ष्मी देवी की कृपा बनी रहेगी, पर होता इसके विपरीत ही है। इस कुप्रथा के कारण असंख्य घर बरबाद हो जाते हैं और असंख्य व्यक्ति ऋण के भार से दब जाते हैं। चोरों, ठगों का भी ऐसा ही विश्वास है। वे वर्ष-भर सफलता प्राप्त करने हेतु इस पर्व पर चोरी करना शुभ समझते हैं। उन्हें कम-से-कम आज के दिन तो इस बुराई को छोड़ देना चाहिए। दीवाली उल्लास, आर्थिक और प्रगतिसूचक पर्व है। राष्ट्र एवं जाति की समृधि का प्रतीक यह पर्व अत्यंत ही मनोरम व महत्त्वपूर्ण है। जुआ आदि कुप्रथाओं को छोड़कर इसे पवित्र रूप से मनाना चाहिए।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Diwali in Hindi – दिवाली पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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