Here you will get Paragraph and Short Essay on Paropkar in Hindi Language for students of all Classes in 200 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में परोपकार पर निबंध मिलेगा।
Essay on Paropkar in Hindi – परोपकार पर निबंध
Short Essay on Paropkar in Hindi Language – परोपकार पर निबंध ( 200 words )
परोपकार का अर्थ है दुसरों का भला करना। समाज में रहने के लिए मनुष्य जीवन में परोपकार का होना जरूरी है। परोपकार के अंतर्गत दया और संवेदनशीलता आता है। परोपकार मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है जिसके अंदर वह स्वार्थ छोड़कर दुसरों के हित के लिए कार्य करता है। प्रकृति भी दुसरों के परोपकार के लिए ही कार्य करती है। पेड़ कभी भी अपना फल खुद नहीं खाते, नदी कभी अपना पानी खुद नहीं पाती, सूर्य भी दुसरों को ही रोशनी देता है। मनुष्य को भी प्रकृति से निस्वार्थ भाव से कार्य करना सिखना चाहिए।
अमीर को अपना धन गरीबों के कल्याण के लिए प्रयोग करना चाहिए। ताकतवर इंसान को कमजोर व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए। परोपकार के बिना किसी भी समाज की गति नहीं हो सकती। बिना परोपकार के मनुष्य का जीवन पशु के समान है। खाना और सोना तो पशु भी करते ही है। परोपकारी व्यक्ति का जीवन आदर्श माना जाता है। परोपकार करने वाले व्यक्ति को समाज में सम्मान और यश की प्राप्ती होती है। बहुत से महान पुरूष हुए है जिन्होंने परोपकार के बल पर यश और कीर्ति को प्राप्त किया है। हमें भी अपने जीवन में परोपकार को अपनाना चाहिए और दुसरों के हित के लिए भी कार्य करना चाहिए ।
परोपकार पर निबंध – Essay on Paropkar in Hindi in 500 words
परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना है। पर और उपकार। पर का अर्थ है दुसरों का और उपकार का अर्थ है भला करना। परोपकार का अर्थ होता है दुसरों का भला करना ,उनकी सहायता करना, उनके हित के लिए कार्य करना है। मनुष्य जीवन में परोपकार सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है। परोपकार की भावना हर व्यक्ति के हृदय में होनी चाहिए। समाज में रहने के लिए परोपकार का मनुष्य के जीवन में होना बहुत जरूरी है। परोपकार ही है जो मनुष्य को पशुओं से अलग करता है वरना खाना और सोना तो उन्हें भी आता है।
प्रकृति भी परोपकार के धर्म को मानती है। वह कोई भी कार्य अपने लिए नहीं करते बल्कि दूसरों के हित के लिए करते हैं। पेड़ कभी अपने फल खुद नहीं खाते, नदियाँ कभी अपना जल खुद नहीं पीती, सूर्य हमेशा दुसरों को ही प्रकाश देता है। परोपकार मनुष्य के अंदर एक स्वाभाविक गुण होता है। परोपकार का अभिप्राय मनुष्य में दया और संवेदनशीलता से है। भगवान ने मनुष्य को तेज दिमाग के साथ साथ संवेदनशील दिल भी दिया है जो कि दुसरों के दुखों को अपना दुख समझता है। अगर हम मुसीबत में किसी पर परोपकार करते है तो वक्त आने पर वह हमारी सहायता भी अवश्य ही करते है। परोपकार मनुष्य का कर्म है जिसे करने से उसका मन शांत रहता है और आत्मा भी तृप्त रहती है। परोपकारी मनुष्य के जीवन को आदर्श माना जाता है।
परोपकार करने वाले व्यक्ति को कभी भी आत्मग्लानि नहीं होती और वह समाज में यश और सम्मान को प्राप्त करते हैं। हमारे इतिहास में बहुत से महा पुरूष हुए है जिन्होंने परोपकार के बल पर ही समाज में सम्मान प्राप्त किया है। अगर आप अमीर है तो अपने धन को गरीबों को कल्याण के लिए प्रयोग करें। भूखे को अन्नदान करे। आप लोगों की यथासंभव सहायता कीजिए तभी समाज में परोपकार की भावना आएगी।
आज के युग में हर व्यक्ति स्वार्थी बनता जा रहा है। वह सिर्फ अपने हित का सोचता है और यह भी ध्यान नहीं रखता कि उसे किए गए कार्य से कहीं किसी को नुकसान न हो रहा हो। पुरे समाज मे स्वार्थ बढ़ने से जंग की संभावना बढ़ती जा रही है। लोग जो पैसे कमाते है उनका कुछ हिस्सा जाकर तीर्थ स्थलों में जाकर दान कर देतें है जो कि परोपकार नहीं है। असली परोपकार एक मनुष्य का दुसरे मनुष्य की सहायता करने में ही है। एक सच्चा परोपकारी व्यक्ति वह है जो केवल अपने लिए न जिए बल्कि दुसरों के हित के लिए भी कार्य करे और उनके लिए भी जिए।
मनुष्य में दया और सहनशीलता तो होनी ही चाहिए। प्रकृति हमें निस्वार्थ रहना सिखाती है और दुसरों का भला करना सिखाती है लेकिन मनुष्य ने उससे भी कुछ नहीं सिखा। परोपकार समाज के लिए बहुत ही जरूरी है। बिना परोपकार के समाज की गति नहीं हो सकती। हर मनुष्य को अपने अंदर परोपकार की भावना रखनी चाहिए और सभी को सम्मान समझना चाहिए। हमें किसी के लिए भी हीन भावना नहीं रखनी चाहिए। परोपकार ही वह कर्म है जो तय करता है कि हमें 84 लाख योनियों में से किस योनी में जन्म प्राप्त होगा।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Paropkar in Hindi – परोपकार पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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