यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi Language for students of all Classes in 200, 300, 400 and 500 words. Know about Subhash Chandra Bose in Hindi Language.
Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi – सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध
Short Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi Language – सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध ( 200 words )
सुभाष चंद्र बोस सुभाष चंद्र बोस भारत के महान स्वतंत्रता सैनानियों में से एक थे जिनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। इनका जन्म एक मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकीनाथ था जो कि एक प्रसिद्ध वकील थे और माता का नाम प्रभा देवी था। सुभाष चंद्र बोस कौ नेता जी के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता चाहते थे कि ये आई.सी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करे और इन्होंने अपने पिता जी का सपना पूरा भी किया।
लेकिन 1921 में इन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया क्योंकि ये अंग्रेजों के अधीन कार्य नहीं करना चाहते थे। इन्होंने ही आजाद हिंद फौज का गठन किया था और यह अपने पूर्ण जीवनकाल में बहुत बार कारावास गए। इन्होंने तुम मुझे खुन दो मैं तुम्हें आजादी दुँगा का नारा दिया था जिसके बाद पूरे देश मैं आजादी की लहर दौड़ गई थी। माना जाती है कि इनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हवाई जहाज के क्रैश होने से हुई थी। मरणौपरांत सन् 1992 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। आजादी में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi – सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध ( 300 words )
सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने खुद को अपने देश की स्वतंत्रता के लिए त्याग दिया। वह नेताजी के नाम से प्रसिद्ध थे। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को कटक में हुआ था। उनके पिता का नाम जनकीनाथ बोस था और मां का नाम प्रभाबाती देवी था। वह स्कूल में बहुत शानदार छात्र था। वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत था। सुभाष चंद्र ने कट्टेकवे कॉलेजियेट स्कूल ऑफ कटक से अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कटक से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। फिर वह कलकत्ता प्रेसिडेंसी कॉलेज में शामिल हो गए। फिर वह इंग्लैंड गया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ट्रायपॉइंट डिग्री ली। उन्होंने आईसीएस भी पारित किया महान क्रेडिट के साथ परीक्षा।
जेलियनवालाबाग नरसंहार ने उसे बहुत परेशान कर दिया और परेशान किया। महात्मा गांधी के गहरे प्रभाव के तहत, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और अपने देश की स्वतंत्रता के कारण की सेवा की। उन्हें 1938 और 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में दो बार चुना गया था। हालांकि, उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और 1939 में फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार गिरफ्तार कर लिया। सुभाष चंद्र देश के युवाओं में उनके जलते देशभक्ति के लिए लोकप्रिय हो गए। उन्होंने लोगों को देश की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए बुलाया।
वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत से बच निकले और जर्मनी से मदद के लिए कहा जहां उन्हें हिटलर द्वारा दो साल तक सैन्य प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने भारतीय निवासियों और जर्मनी, इटली और जापान से युद्ध के कैदियों को प्रशिक्षण देकर आजाद हिंद फौज के नाम से अपनी भारतीय राष्ट्रीय सेना को भी उठाया। उनके पास एक भव्य व्यक्तित्व और उत्कृष्ट नैतिक चरित्र था। उनका दृढ़ संकल्प था। सुभाष चंद्र बोस ने खुले तौर पर घोषित किया, “मुझे खून दो और मैं आपको स्वतंत्रता दूंगा।”
ऐसा माना जाता है कि 1945 में विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गई थी। उन्हें हमेशा देश के महान शहीद माना जाएगा।
Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi – सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध ( 400 – 500 words )
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस 1897 ई० में पैदा हुए। इनके पिता का नाम श्री जानकीनाथ था। बचपन से सुभाष चन्द्र बोस की बुद्धि बहुत तेज थी। सन् 1910 में इन्होंने फर्स्ट डिवीजन में बी. ए. पास किया और वे अपने पिता की आज्ञा से आई. सी. एस. परीक्षा में बैठे और उसमें सफल हुए तो इन्हें सरकारी नौकरी मिल गई।
उस समय गांधी जी का असहयोग आन्दोलन जोरों पर था। लोग बड़ी-बड़ी उपाधियों को छोड़ रहे थे। स्कूल-कालेज के विद्यार्थी भी असहयोग आन्दोलन में। बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे थे। कांग्रेस के इशारे पर भारतवासी सब कुछ करने को तैयार थे। ऐसे समय में सुभाष चन्द्र बोस सरकारी नौकरी कैसे स्वीकार कर सकते थे ? इन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और महात्मा गांधी जी से जा मिले । महात्मा गांधी ने इनको देशबन्धु चित्तरंजन दास के पास भेजा। वे शीघ्र ही उनके विश्वासपात्र बन गये। उन्हीं के साथ कार्य करते हुए सुभाष उन्नति के शिखर पर जा पहुंचे। कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन घबराए बिल्कुल नहीं।
देश सेवा के साथ-साथ सुभाष बाबू ने अनेक क्षेत्रों में काम किया। सन् 1942 में जनवरी मास में महात्मा गांधी जी के सभापतित्व में राष्ट्र-भाषा सम्मेलन हुआ जिसके ये स्वागताध्यक्ष बने। इनका लेखन-कला और सम्पादनकला पर विशेष अधिकार था। किसी बात पर आपकी गांधी जी से अनबन हो गई। यह उस समय की बात है जब इनको सरकार ने नजरबन्द कर रखा था। सरकार का आदेश था कि ये भारत से बाहर नहीं जा सकते, फिर भी ये छिप कर जापान पहुच गए। वहां जाकर इन्होंने एक छोटी सी सेना बना कर उसका नाम ‘आजाद हिन्द फौज’ रखा। उसके नेता थे-सुभाष जी। यहीं से इनको नेता जी कहा जाने लगा। कहते हैं, द्वितीय विश्व युद्ध में हवाई दर्घटना में इनका स्वर्गवास हो गया, पर आज तक लोगों को इस सूचना पर विश्वास नहीं होता। इनका नाम सदैव स्वतन्त्रता संगम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा रहेगा।
उनका संदेश था “मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा। उनके आज़ाद हिंद फौज ने ब्रिटिश सेनाओं के खिलाफ बहादुरी से लड़ा और असम में कोहिमा तक पहुंचाया। लेकिन बाद में, भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों द्वारा पराजित किया। सुभाष बोस जापान की ओर एक हवाई जहाज में गए लेकिन रास्ते में गायब हो गया। कोई भी उसके बारे में कुछ नहीं जानता, लेकिन उसने कहा कि उसका विमान ताइहोकू में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसे जला दिया गया था। जब तक भारत मुक्त होता है, लोग नेताजी बोस को सम्मान और प्यार के साथ याद करेंगे। उनका जीवन हमें साहस का संदेश देता है। सुभाष चंद्र की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वे एक शक्तिशाली आदमी थे।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Subhash Chandra Bose Par Nibandh – Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi – सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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