यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में स्वामी दयानन्द सरस्वती पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Swami Dayanand Saraswati in Hindi Language for School Students and Kids of all Classes in 500 words. Know about Swami Dayanand Saraswati in Hindi Language.
Essay on Swami Dayanand Saraswati in Hindi – स्वामी दयानन्द सरस्वती पर निबंध : स्वामी दयानन्द का जन्म गुजरात प्रान्त के टंकारा नामक ग्राम में हुआ। इनका पहला नाम मूल शंकर था। इनके पिता एक ब्राह्मण थे। वे शिव भक्त थे और अपने धर्म पर पूर्ण विश्वास रखते थे।
Essay on Swami Dayanand Saraswati in Hindi – स्वामी दयानन्द सरस्वती पर निबंध
पिता की धर्म में आस्था होने के कारण इन्हें भी पिता जी के साथ मन्दिर जाना पड़ता था। एक बार शिवरात्रि का दिन था। इनके पिता ने इन्हें शिवरात्रि का व्रत रखने तथा रात भर शिवपूजन करने के लिए कहा। आधी रात के समय जब मन्दिर के सब पुजारी तथा भक्त सो गए तो इन्होंने देखा कि एक चूहा बिल में से निकल कर शिव की मूर्ति पर चढ़ा हुआ प्रसाद खा रहा है। इन्होंने सोचा कि यदि यह भगवान् एक चूहे से अपनी रक्षा नहीं कर सकते तो फिर ये संसार की रक्षा कैसे करेंगे। उस दिन से इन के मन में सच्चे शिव की खोज करने की तीव्र इच्छा पैदा हुई और ये घर से भाग निकले।
कई वर्षों तक सच्चे शिव की खोज में ये साधुओं और महात्माओं के पास गए किन्तु निराशा ही हाथ लगी। आखिर मथुरा में स्वामी विरजानन्द के पास पहुंचे, वहां इनकी तृप्ति हुई। वेद शास्त्र पढ़े, उनका भेद जाना। सच्चे शिव की प्रप्ति हुई। गुरु से विदा लेकर स्थान-स्थान पर शास्त्रार्थ किए। सत्य का प्रचार किया। हिन्दू संस्कृति को ऊपर उठाया और हिन्दू धर्म की उच्चता का वर्णन किया।
मूलशंकर (स्वामी दयानन्द) ने ‘सत्यार्थ-प्रकाश’ लिख कर हिन्दू संस्कृति का स्वरूप जनता के सामने रखा। वैदिक-धर्म का प्रचार किया। आर्य समाज की स्थापना करके अपने महान् कार्य किया। जनता के दूसरे सुधारकों की भांति स्वामी दयानन्द जी पर भी पत्थर फेंके, गालियां दीं, जहर दिया। स्वामी दयानन्द ने भारत की संस्कृति की रक्षा की। क्योंकि सच कड़वा होता है, इसलिए हर एक सुधारक को यही ईनाम मिलता है।
स्वामी जी प्रचार करते-करते जोधपुर गए। वहां के राजा का वेश्या से प्यार था। स्वामी जी ने राजा को समझाया कि वेश्या से सम्बन्ध तुम्हारे वंश के अनुकूल नहीं है। इस बात का जोधपुर नरेश पर बहुत असर पड़ा। उसने वेश्या से सम्बन्ध तोड़ लिया। वेश्या ने अपना अपमान समझ कर रसोइये द्वारा इन्हें जहर दिलवा दिया जिसके कारण दीवाली के दिन स्वामी जी नश्वर शरीर को त्याग कर स्वंग सिधार गये।
जहां इन्होंने धार्मिक क्षेत्र में सत्यार्थ-प्रकाश जैसा प्रकाश दिया, वहाँ शिक्षा के प्रचार में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया। स्कूलों के माध्यम से भारतीयता का प्रचार करने का काम आपने ऐसे ढंग से किया कि आज स्थान-स्थान पर आर्य संस्थाओं का दर्शन होता है। इन संस्थाओं ने आजादी की ऐसी रूह जनता में फेंकी जिस से देश जाग उठा। हिन्दू संस्कृति को सहारा दिया और विदेशी संस्कृति द्वारा किए गए घावों पर मरहम लगाई। इन्होंने भारतीय जनता में जागृति पैदा कर दी और धर्मिक अन्धविश्वास की जड़ें हिला दीं। ऐसे महान् मनुष्य का सदैव पूजन होता रहेगा।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Swami Dayanand Saraswati in Hindi – स्वामी दयानन्द सरस्वती पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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