Speech on Guru Purnima in Hindi – गुरु पूर्णिमा पर भाषण

Here you will get Short Speech on Guru Purnima in Hindi Language for students of all Classes in 200 and 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में गुरु पूर्णिमा पर भाषण मिलेगा।

Speech on Guru Purnima in Hindi – गुरु पूर्णिमा पर भाषण

Short Speech on Guru Purnima in Hindi Language – गुरु पूर्णिमा पर भाषण ( 200 words )

गुरू पुर्णिमा एक ऐसा त्योहार है जिसे हिंदु और बौद्ध धर्म के लोग बड़े ही उत्साह से मनाते है। यह पर्व आषाढ़ माह की पुर्णिमा को मनाया जाता है। यह वर्षा रितु के आरंभ में ही आ जाता है। यह दिन गुरूओं की श्रद्धा और समर्पण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं को बहुत ही सम्मान दिया जाता है। गुरू वह व्यक्ति होता है जो हमें अग्यान रूपी अंधकार से ग्यान रूपी प्रकाश की तरफ ले जाता है। शास्त्रों में गुरू को भगवान से भी उपर दर्जा दिया गया है।

गुरू पुर्णिमा के दिन मंदिरो और आश्रमों में पूजा पाठ का विशेष आयोजन किया जाता है। गुरूओं के नाम पर दान भी दिया जाता है और जगह जगह पर भंडारे भी लगाए जाते है। इस दिन लोग और साधु संत तीर्थ स्थलों पर स्नान के लिए जाते हैं। इस दिन से चार महीने तक शिक्षा ग्रहण करने कै लिए उत्तम समय होता है। इस दिन सारा वातावरण भक्ति के आंनद में डूबा होता है। कहा जाता है कि इस दिन गुरू की सेवा करने से उनकी पूरी दीक्षा का फल हमें प्राप्त होता है। लोग इस दिन घरों में कीर्तन आदि भी कराते हैं। साहित्य, कला और नृत्य से जुडचे गुरुओं को उपहार भी दिया जाता है।

Speech on Guru Purnima in Hindi – गुरु पूर्णिमा पर भाषण ( 400 words )

भारत एक पर्वों का देश है जहाँ पर सभी पर्व बडे ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। गुरू पुर्णिमा हिंदु और बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा बड़े ही उत्साह से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पुर्णिमा को मनाया जाता है। यह वर्षा रितु के आरंभ में ही आ जाता है। गुरू पुर्णिमा को व्यास पुर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत और चारों वेदों के रचियता गुरू व्यास का भी जन्मदिन होता है। यह दिन गुरूओं के सम्मान के रूप में मनाया जाता है।

गुरू वह व्यक्ति होता है जो हमें सही राह दिखाते है, हमारा मार्गदर्शन करते है। गुरू दो शब्दों से मिलकर बना है गु और रू। गु का अर्थ है अग्यान अथवा अंधकार और रू का अर्थ है ग्यान अथवा प्रकाश। गुरू वह व्यक्ति होता है जो हमें अग्यान रूपी अंधकार से ग्यान रूपी प्रकाश की तरफ लेकर जाता है। गुरू हमें भक्ति का ग्यान देते है। भगवान को पाने के लिए गुरू की साधना करना जरूरी है क्योंकि एकमात्र वही है जो हमें भगवान से मिलवा सकते हैं। शास्त्रों में गुरू को भगवान से भी उपर दर्जा दिया गया है।

सिक्खों के लिए गुरू पुर्णिमा का एक अलग ही महत्व है क्योंकि उनके दस गुरू हुए हैं। इस दिन मंदिरो और आश्रमों में पूजा पाठ का विशेष आयोजन किया जाता है। लोग गुरूओं को पूर्ण सम्मान देते है। साहित्य संगीत और कला से जुड़े गुरुओं को उपहार देकर सम्मानित किया जाता है। इस दिन लोग भण्डारे भी लगाते है। सभी साधू संत और लोग भी तीर्थ स्थलों पर स्नान के लिए जाते हैं। पूरा वातावरण भक्ति के रस में डूबा होता है।

प्राचीन काल में जब बच्चे गुरूओं से शिक्षा प्राप्त करते थे तो वह गुरू पुर्णिमा के दिन गुरू को अथक सम्मान देकर उन्हें दक्षिणा भी देते थे। माना जाता है कि इस दिन पूरे दिल से गुरू की सेवा करने से उनकी दीक्षा का पूर्ण फल हमें प्राप्त होता है। इस दिन गुरू के नाम पर दान देने का भी प्रावधान है। लोग बड़ी ही खुशी के साथ इस त्योहार को मनाते है। गुरू पुर्णिमा से लेकर अगले चार ंहीने तक शिक्षा या पूजा का प्रावधान है क्योंकि उन चार महीनों में न ज्यादा गर्मी होती है न ही ज्यादा सर्दी। यह चार महीनें शिक्षा ग्रहण करने के लिए सर्वोत्तम है। गुरू पुर्णिमा गुरूओं के सम्मान और समर्पण का दिन है।

हम आशा करते हैं कि आप इस भाषण ( Short Speech on Guru Purnima in Hindi Language – गुरु पूर्णिमा पर भाषण ) को पसंद करेंगे।

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